logo

ग्रामीण भारत का पुनर्निर्माण ही सशक्त भारत की नींव हैः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी


नई दिल्ली, 26 अप्रैल। भारत सरकार में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र में स्वदेशी शोध संस्थान, नई दिल्ली, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व अन्य शैक्षणिक संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में “विजन 2047ः समृद्ध और महान भारत” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन दोपहर के सत्र में देश के समग्र विकास, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्ता, आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी ऊर्जा स्रोतों के उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि कैसे भारत का भविष्य गांवों की समृद्धि और किसानों की आत्मनिर्भरता से जुड़ा है। इससे पहले स्वदेशी शोध संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक आर सुदंरम व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का स्वागत किया।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आर्थिक संरचना में असंतुलन की ओर इशारा करते हुए, श्री गडकरी ने कहा कि देश की जीडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 52 प्रतिशत से 54 प्रतिशत है, जबकि विनिर्माण क्षेत्र 12 प्रतिशत से 24 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र मात्र 12 प्रतिशत से 14 प्रतिशत योगदान करता है। उन्होंने याद दिलाया कि जब भारत आज़ाद हुआ था, तब महात्मा गांधी ने कहा था कि “भारत गांवों में बसता है”। उस समय 90 प्रतिशत आबादी गांवों में थी, लेकिन आज लगभग 30 प्रतिशत लोग पलायन कर शहरी झुग्गियों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने इस पलायन का कारण बताते हुए कहा कि यह मजबूरी में हुआ है, खुशी से नहीं। आज़ादी के बाद ग्रामीण, कृषि और जनजातीय क्षेत्रों की उपेक्षा की गई। जल, जंगल, जमीन और पशु-संपदा जैसे संसाधनों को नज़रअंदाज़ किया गया, जिसके चलते गांवों में न तो विकास हुआ, न रोजगार। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं भी सीमित रह गईं।

अपने अनुभव साझा करते हुए, श्री गडकरी ने बताया कि जब वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें मुंबई में वर्ली-बांद्रा सी-लिंक जैसी परियोजना पर काम करने का अवसर मिला। लेकिन उन्होंने शहरी विकास की बजाय ग्रामीण संपर्क पर काम करने की इच्छा जताई। अटल जी ने उन्हें कहा गांवों को जोड़ने के लिए योजना बनाओ। इसके बाद उन्होंने छह महीने तक नाबार्ड के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की।
उन्होंने कहा कि यदि देश के गांवों में केवल 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत सड़कों का निर्माण किया जाए, तो देश की जीडीपी में 1,10,000 करोड़ रुपये की वृद्धि संभव है। इस योजना के चलते आज देश के 6.5 लाख गांवों में से 4.5 लाख गांव मजबूत सड़कों से जुड़ चुके हैं। यह ऐतिहासिक कार्य श्री गडकरी के नेतृत्व और अटल जी की प्रेरणा का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम आयात को कम कर और निर्यात को बढ़ावा देंगे। भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करता है। यदि हम वैकल्पिक ईंधनकृजैसे इथेनॉल, बायोफ्यूल, बायो-सीएनजी का उपयोग करें, तो किसानों की आय भी बढ़ेगी और देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
नितिन गडकरी ने स्वदेशी ऊर्जा के लाभों पर बल देते हुए कहा कि जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक श्री सुदर्शन जी के संपर्क में थे, तब उन्हें यह सिखाया गया कि किसान स्वयं बिजली बना सकता है, सीएनजी चला सकता है, और अपने ही खेत से ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। यह सोच ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ थी, लेकिन आज यह व्यावहारिक सच्चाई बन चुकी है। “यदि हम 22 लाख करोड़ रुपये के आयात को रोककर यह धन देश के किसानों को दें, तो गांव समृद्ध होंगे, किसान संपन्न होगा और भारत एक ऊर्जा संपन्न राष्ट्र बनेगा। यह मेरा जीवन का मिशन है स्वदेशी ईंधन से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण।”
इस सत्र में जनरल वीके चतुर्वेदी, लेफ्टिनेंट जनरल वीके सक्सेना, आर के त्यागी ने भी अपने विचार प्रकट किए।
इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर सुदंरम, संगठक कश्मीरी लाल, राष्ट्रीय सह-संगठक सतीश कुमार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, प्रो. प्रदीप चौहान, राजेश गोयल, प्रो. भगवती प्रकाश सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।

0
670 views