
अध्यापक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़. ..अनदेखा न किया जाए उनकी भावनाओं को..
वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश जैसे शांति प्रिय प्रदेश में शांति के साथ अपनी मांगो के लिए जुटे हुए अध्यापक वर्ग की समस्याओं और उनका निदान करने के लिए विभाग और सरकार को स्वत: पहल करनी चाहिए. .यह वही वर्ग है जिनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में शीर्ष पर पंहुच चुका है।
सरकार और विभाग नीति निर्धारक होते हैं और यह किसी भी व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू होता है, परंतु धरातल पर कार्य करने वाले लोगों की अनदेखी करना उचित नहीं.
शांति पूर्वक अपनी मांगो के लिए प्रदर्शन करने वाले अध्यापकों को विभिन्न प्रकार के सरकारी और विभागीय आदेशों से आहत होना पड़ रहा है। जो कि बेहद चिंताजनक है..
अध्यापक सरकारी व्यवस्था का एक ऐसा वर्ग है जो अध्यापन के साथ साथ अनेक अतिरिक्त कार्यों का बोझ शांति से ढो रहा है, बिना किसी सुविधा और साधनों के....
शिक्षा और शिक्षार्थी के हक में क्या अच्छा है और क्या किया जा सकता है, इसका जितना बोध अध्यापक वर्ग को है शायद सरकार और अधिकारियों को नहीं,क्योंकि जिस वर्ग ने धरातल पर कार्य करते हुए हर चीज को अनुभव किया है उसे सब कुछ पता होता है.
शिक्षा व्यवस्था में विभिन्न मुद्दों पर चाहे वह पद्दोन्नति का हो,कैडर में वरिष्ठता सूची का हो बिना कारण और अनायास ही स्थानांतरण का हो,समायोजन का हो मात्र अध्यापक वर्ग ही हमेशा उत्पीड़न और उपेक्षा का शिकार हुआ है, जो कि न्यायसंगत नहीं है.
एक ऐसी सरकार जो कर्मचारियों के हित का वादा करके सत्ता में आई है ,उस से सभी को उम्मीद बंधी थी. ..परंतु अब सरकार को इन सभी की भावनाओं का ध्यान रख कर इनकी जायज़ मांगो पर संवेदनशीलता और तत्परता दिखानी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा शिक्षा ,शिक्षक और शिक्षार्थियों से स्पष्ट रुप से जुड़ा है.