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Pahalgam Terror Attack: सैटेलाइट फोन से हैंडलरों के संपर्क में थे आतंकी, पता लगाने में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां

Pahalgam Terror Attack पहलगाम नरसंहार के आतंकियों तक सुरक्षा एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। आतंकियों ने हमले से पहले और बाद में अपने हैंडलरों से सैटेलाइट फोन पर बात की। एजेंसियां उनकी लोकेशन ट्रेस करने में जुटी हैं। एनआईए (NIA) ने घटनाक्रम को कैद करने वाले युवक से पूछताछ की है। आतंकियों के ठिकानों पर छापेमारी जारी है।
HighLights
(1)सैटेलाइट फोन को ट्रैक करने को आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही सुरक्षा एजेंसियां
(2)एनआईए ने पेड़ पर चढ़कर नरसंहार का वीडियो बनाने वाले स्थानीय युवक से ली फुटेज

पहलगाम नरसंहार के गुनहगारों तक सुरक्षा एजेंसियों के हाथ जल्द पहुंच जाएंगे। आतंकियों ने 22 अप्रैल को नरसंहार को अंजाम देने से पहले से लेकर रविवार (27 अप्रैल) तक छह दिन में कम से कम चार बार सीमा पार अपने हैंडलरों से संपर्क करने के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया है।
उनके सैटेलाइट फोन को ट्रैक करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां कुछ अन्य देशों द्वारा ऐसे मामलों में अपनाई जा रही तकनीक का भी सहारा ले रही हैं। इस बीच, एनआईए ने नरसंहार के पूरे घटनाक्रम को पेड़ पर चढ़कर अपने वीडियो कैमरे में कैद करने वाले एक स्थानीय युवक से पूछताछ करने के अलावा उससे संबंधित फुटेज भी प्राप्त कर ली है।
सैटेलाइट फोन इस्तेमाल कर रहे आतंकी
संबंधित सूत्रों ने बताया कि पहलगाम के बैसरन में हुए हमले में शामिल आतंकी सीमा पार बैठे अपने हैंडलरों से संपर्क करने में पूरी सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि अधिकारिक तौर पर किसी भी सुरक्षा एजेंसी ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन आतंकी सीमा पार बातचीत के लिए सैटेलाइट फोन इस्तेमाल कर रहे हैं।
उनके सैटेलाइट फोन की सही स्थिति और उसकी लोकेशन का पता लगाने का प्रयास जारी है। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने हमले में मारे गए दो पर्यटकों के मोबाइल फोन भी लूटे हैं। ये दोनों फोन भी निगरानी में हैं।
'अब ज्यादा दूर नहीं जा सकेंगे आतंकी'
इस बीच, कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, जिस इलाके में यह नरसंहार हुआ है, वहां से आतंकियों को अपने हैंडलरों से संपर्क बनाए रखने के लिए सैटेलाइट फोन की जरूरत होगी। यह सैटेलाइट किस कंपनी का है, किसी देश में बना है, कौन कंपनी इसकी सेवा उपलब्ध करा रही है, इसका पता लगाने के बाद संबंधित फोन के डेटा तक पहुंच बनाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर आतंकियों ने पर्यटकों से लूटे गए मोबाइल फोन का अभी तक इस्तेमाल नहीं किया है तो वह उसकी बैटरी का इस्तेमाल अपने संचार उपकरणों के लिए कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि अगर आतंकियों द्वारा सैटेलाइट फोन इस्तेमाल किए जाने की सूचना सही है तो फिर यह मान लीजिए कि वह ज्यादा दूर तक नहीं जा पाएंगे।
आतंकियों के डोडा और किश्तवाड़ में खंगाले आवास
गुलाम जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों और मददगारों के जिला डोडा और किश्तवाड़ स्थित दर्जनभर ठिकानों पर पुलिस ने छापेमारी की। किसी की गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं है। कुछ समय से आतंकियों ने जम्मू डिविजन के डोडा, किश्तवाड़, राजौरी, पुंछ, रामबन व कठुआ जिलों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
इन जिलों के घने जंगली इलाकों को आतंकवादियों द्वारा छिपने की जगह के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। राजौरी में पांच संदिग्ध दिखे, तलाशी अभियान राजौरी जिले के सुंदरबनी क्षेत्र में सोमवार को पांच संदिग्ध दिखने के बाद सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया है।
जानकारी के अनुसार सुबह गांव के एक स्कूली विद्यार्थी ने तहसील बैरीपतन के अमबखोडी गांव में पांच हथियारबंद लोगों को देखा। उसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस व सेना को संबंधित जानकारी दी। अमबखोडी गांव पहाड़ी इलाका है और सीमा से सटा भी है। यहां घना जंगल होने के साथ-साथ पथरीला रास्ता है। सुबह शुरू हुआ तलाशी अभियान देर शाम तक जारी रहा।

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