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राजस्थान राज्य के इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सको की हुई जीत राज्य सरकार ने इलेक्ट्रोपैथिक चिकित्सा पद्धति बोर्ड, अध्यक्ष और पांच सदस्यों की कार्यकारिणी का गठन किया

जयपुर। राज्य सरकार ने इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति बोर्ड का गठन कर दिया है। इसमें अध्यक्ष एवं पांच सदस्य दिया अध्यक्ष एवं पांच सदस्य मान्य होगा, इसके लिए राज्य सरकार ने बुधवार को अधिसचुना जारी कर दी है। इलेक्ट्रोपैथी के विकास, अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए बोर्ड का गठन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बोर्ड के गठन से अब इलैट्रोपैथी डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा। गौरतलब है कि वसुंधरा राजे सरकार ने 6 साल पहले विधानसभा में
एक अधिनियम के जरिए इस चिकित्सा पद्धति को कानूनी मान्यता प्रदान की थी, उस समय देश का पहला राज्य बना था। उस समय देश का पहला भजनलाल शर्मा सरकार ने किया है। इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति के फायदाः इलेक्ट्रोपैथी से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें दवाओं का निमार्ण नॉन पॉइजन वनस्पति से किया जाता है। इसलिए यह एक ऐसी पद्धति है जिसका कोई साइड इफैक्ट नहीं है। वनस्पति एवं फूलों के रस से इसकी दवाइयां तैयार होती है।

अध्यक्ष-सदस्यों को देंगे मानदेय

इसमें आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, राज्याने या विभाग एवं होम्योपेथी के प्रमुख सचिव इसके अध्यक्ष होंगे। हेमंत सेठिया, गोविंदलाल सैनी, कुलदीप वर्मा, हरिसिंह बूमरा एवं एसएस पाटोदिया इसके सदस्य होंगे। आयुर्वेद विभाग के निदेशक इसके सचिव एवं कार्यकारी अधिकारी होंगे। बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों देय मानदेय एवं अन्य सुविधाएं दी जाएगी। इसके लिए अलग से आदेश जारी किए जाएंगे।
Dr Manish Kumar Srivastavav
Boisar ,Maharashtra

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