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धर्म पूँछ कर लोग मारे जा रहे और सरकार लाशों से जाति पूंछने का काम कर रही

आप लोग सिर्फ दल दलों की समर्थकतावादी बात करते हो मगर जिम्मेदारी वाली नहीं.. यही बस देश का दुर्भाग्य है कि लोग धर्म के नाम पर धर्म पूँछ कर निर्दयता से मारे जा रहे हैं और उनकी लाशो से तुम जाति पूँछ जनगणना रजिस्टर बना रहे वो भी अपनी कुर्सी अपनी सत्ता के लिए.. देश को जातिय धर्मी ग्रहयुद्ध में झोंकने का प्रयास ही नहीं सीधे सीधे प्रस्तावित हो रहे हो.. पहले जनगणना कराने का उद्देश्य और लाभ हानि का एक प्रपत्र तैयार कर हर भारतवासी के हाथ दो वो पढ़े समझे.. तब सहयोग करें.. ऐसे ख़ुद चार मंत्री नेता के समर्थन से ऐसे निर्णय नहीं लिए जा सकते.. यह देश धर्म और उसके व्यक्ति से जुड़ा सवाल है.. जिसके डाटा की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है.. कि कल तुम भारत की पुनः गुलामी को यह जातिय धर्मी डाटा नहीं बेचोगे जो हीरे जवाहरत से महंगा और मानव जीवन को गुलाम बनाने का एक प्रस्तावित सत्ता में रहने का जरिया होगा.. जिसे ईस्ट इंडिया के दूसरे रुप fdi को फिर भारत में पुनः गुलामी स्थापित करने का अधिकार प्राप्त होगा..
जातिय जनगणना का विरोध होना चाहिये.. जनहित को खुली बहस करनी चाहिये ऐसे गंभीर मामले पर जहाँ हालात गंभीर हो। जनगणना तो गौ माता की भी हुई है कानो में बिल्ले नंबर टैग कर.. मगर कहां गायब हो रही कुछ पता नहीं.. जनगणना में गाय खत्म है.. या गौशाला में भूखी प्यासी कैद.. ऐसा ही हाल जनहित का जातिय जनगणना के बाद शुरू होगा.. परिणाम भयंकर है..जातिय जनगणना भारतीय समाज संस्कृति को कैंसर हैं.. जिसका इलाज़ महंगे अस्पताल हैं जैसे महंगे नेता जनगणना का इलाज़ कर रहे सत्ता के लिए लागु करके..
जय हिन्द

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