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सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला स्टाम्प विक्रेता भी लोक सेवक

स्टाम्प विक्रेता मूल्य से ज्यादा लिए तो चल सकता है मुक़दमा
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सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2025 को अपने एक अहम फैसला में लाइसेन्स प्राप्त स्टाम्प विक्रेता भ्रस्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत लोक सेवक की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं,इसलिए इनपर भ्रष्ट आचरण के लिए पीसी एक्ट के तहत कार्यवाही चल सकती हैं,जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने कहा किसी व्यक्ति द्वारा किये जा रहे कर्तव्य की प्रकृति ही यह निर्धारित करते समय सर्वोपरि महत्व रखती है कि ऐसा व्यक्ति पीसी एक्ट के तहत परिभाषित लोक सेवक की परिभाषा के दायरे में आता है द्वारा किये जा रहे कर्तव्य की प्रकृति ही यह निर्धारित करते समय सर्वोपरि महत्व रखती है कि ऐसा व्यक्ति पीसी एक्ट के तहत परिभाषित लोक सेवक की परिभाषा के दायरे में आता है,एक स्टांप विक्रेता ने ₹10 मूल्य के स्टाम्प पेपर के लिए ₹2 ज्यादा लिया. खरीदार की शिकायत पर एसीबी ने उसे साक्ष्य के साथ गिरफ्तार कर लिया. स्टांप विक्रेता ने इस कार्रवाई को यह कहते हुए चुनौती दी कि वह निजी विक्रेता है. इसलिए उस पर पीसी एक्ट लागू नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक कर्तव्य के निष्पादन के लिए फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है,तो वह लोक सेवक होगा.

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