शायरी
हम कुछ डरे हुए, वो कुछ सरमाये और सिमथे हुए, कुछ इस तरह मिले, जैसे बरसों से बिछड़े होये। हुए जब एक तो सिर्फ जिस्म ही नहीं रूह भी हो गई एक।।