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बाड़मेर: अरावली के शातिर लुटेरे: 550 किमी की चोरी, शौचालय में निशान, रात 2 बजे पहाड़ी चढ़कर पुलिस ने दबोचा गैंग

हनुमान राम चौधरी समदड़ी

बाड़मेर:राजस्थान के बाड़मेर में एक ऐसी चोर गैंग का पर्दाफाश हुआ है, जिसकी कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे! अरावली पहाड़ी के घने जंगलों से 550 किलोमीटर दूर ट्रक में सवार ये शातिर चोर बाड़मेर के घरों में सेंधमारी करते, सोने-चांदी के आभूषण और लाखों रुपये लूटते, और फिर एक अनोखा निशान छोड़ते—घर के शौचालय में शौच करके चुपके से गायब हो जाते! लेकिन बाड़मेर पुलिस ने इन चोरों को उनकी ही पहाड़ी में घेरकर ऐसा सबक सिखाया कि अब ये जेल की सलाखों के पीछे हैं। ड्रोन, नाइट विजन बाइनोकुलर, और रात 2 बजे की खतरनाक पहाड़ी चढ़ाई के साथ पुलिस ने इस गैंग का खेल खत्म कर दिया। आइए, इस रोमांचक कहानी को विस्तार से जानते हैं, जिसमें जासूसी, तकनीक, और पुलिस की हिम्मत ने अपराध की दुनिया में तहलका मचा दिया!
चोरों का अनोखा अंदाज: चोरी, लूट और शौचालय में 'हस्ताक्षर
ये कोई साधारण चोर गैंग नहीं थी। चितौड़गढ़ के बैंगू थाना क्षेत्र के मेघनिवास गांव से ताल्लुक रखने वाली इस गैंग ने बाड़मेर को अपना शिकार बनाया। इनका तरीका इतना अनोखा था कि पुलिस भी शुरू में हैरान थी। रात के अंधेरे में ट्रक में सवार होकर ये चोर बाड़मेर पहुंचते, घरों में सेंध लगाते, और कीमती सामान लूटकर फरार हो जाते। लेकिन हर बार वे एक अजीब निशान छोड़ते—घर के शौचालय में शौच! ये निशान उनकी पहचान बन गया, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी गलती भी साबित हुआ।
गैंग की वारदातें बाड़मेर के लिए सिरदर्द बन गई थीं। कुछ प्रमुख घटनाएं
25 मार्च 2025: रामसर निवासी प्रेमसिंह के घर से 40 तोला सोने के आभूषण चोरी।
3 अप्रैल 2025: हरसाणी गिराब निवासी महेंद्र सिंह के घर से 7-8 तोला सोने के आभूषण और 6 लाख रुपये नकद लूटे गए।
जोधपुर में वारदात
गैंग ने जोधपुर में भी एक बड़ी चोरी को अंजाम दिया। लगातार बढ़ रही इन चोरियों ने पुलिस को चुनौती दी। लोग दहशत में थे, और पुलिस पर दबाव बढ़ रहा था। लेकिन बाड़मेर पुलिस ने हार नहीं मानी और इस गैंग को पकड़ने के लिए एक मास्टरप्लान तैयार किया।
पुलिस की जासूसी: 200 किमी का रूटमैप, सीसीटीवी और मुखबिर का कमाल
बाड़मेर पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत एक्शन लिया। एसपी नरेंद्र सिंह के निर्देश पर एएसपी जसाराम बोस ने पांच अलग-अलग टीमों का गठन किया। इनमें शामिल थे:
डीएसपी मानाराम गर्ग
डीएसटी प्रभारी सुमेर सिंह
रामसर थानाधिकारी अजीत सिंह
गिराब थानाधिकारी देवीसिंह
डीएसटी हैड कांस्टेबल प्रेमाराम
पुलिस ने 200 किलोमीटर के दायरे में हर संभावित रास्ते का रूटमैप तैयार किया। घटनास्थलों के आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। पुरानी अनसुलझी चोरियों का पैटर्न देखा तो एक बात साफ हुई—ये चोरियां एक खास समुदाय की गैंग कर रही थी, जो मध्यप्रदेश और राजस्थान के अरावली पहाड़ी इलाके से ताल्लुक रखती थी। डीएसटी हैड कांस्टेबल प्रेमाराम को मुखबिर से पक्का इनपुट मिला कि चितौड़गढ़ के बैंगू थाना क्षेत्र के मेघनिवास गांव का रतन कंवर इस गैंग का मास्टरमाइंड है। रतन ने हाल ही में एक नया ट्रक खरीदा था, जो उसका चोरी का हथियार था। इस इनपुट ने पुलिस को गैंग तक पहुंचने का रास्ता दिखाया।
ट्रक का रहस्य: लोडिंग नहीं, चोरी का हथियार
जांच में पुलिस को पता चला कि रतन का ट्रक कोई साधारण वाहन नहीं था। ये ट्रक माल ढोने के लिए नहीं, बल्कि चोरी की वारदातों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल होता था। गैंग इस ट्रक में सवार होकर 550 किलोमीटर का सफर तय करके बाड़मेर आती। रात में चोरी करने के बाद ये लोग ट्रक को जंगल में छिपा देते और अरावली के घने जंगलों में गायब हो जाते। पुलिस ने 15 दिन तक सिविल ड्रेस में चितौड़गढ़ के गांवों में डेरा डाला। गैंग की हर हरकत पर नजर रखी गई। पुलिस ने भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन किया और गैंग के ठिकानों का पता लगाया। लेकिन चुनौती आसान नहीं थी।
पहाड़ी ठिकाने और जंगली चुनौती
गैंग के सदस्यों के घर अरावली पहाड़ी की तलहटी पर थे। चोरी की वारदातों के बाद ये लोग अपने घरों में नहीं रहते, बल्कि पहाड़ों पर छिप जाते। अरावली के घने जंगलों में तेंदुए, जरख जैसे जंगली जानवरों का खतरा था। गैंग का एक साथी पहाड़ पर नजर रखता और पुलिस की भनक लगते ही ये लोग जंगल की गहराइयों में भाग जाते। पुलिस के लिए इनका पीछा करना किसी जंग में उतरने से कम नहीं था। जंगल का सघन इलाका, हिंसक जानवर, और गैंग की चालाकी—हर कदम पर खतरा था। लेकिन बाड़मेर पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी।
पुलिस का मास्टरप्लान: पहाड़ पर कंट्रोल सेंटर
पुलिस ने एक साहसिक योजना बनाई। रामसर थानाधिकारी अजीत सिंह की अगुआई में एक टीम ने चितौड़गढ़ के बैंगू में डेरा डाला। पहाड़ से 3 किलोमीटर दूर एक कंट्रोल एंड कमांड सेंटर स्थापित किया गया। चार रात तक पुलिस ने ड्रोन कैमरों और नाइट विजन बाइनोकुलर की मदद से गैंग के ठिकानों की रेकी की। पुलिस ने गैंग के मूवमेंट का पैटर्न समझा। पता चला कि रतन कंवर और उसका गैंग रात में पहाड़ी की चोटी पर सोता है। लेकिन एक साथी हमेशा पहरेदारी करता रहता, जो पुलिस की गतिविधियों की खबर गैंग तक पहुंचाता। इस चुनौती से निपटने के लिए पुलिस ने रात में ऑपरेशन चलाने का फैसला किया।
रात 2 बजे का ऑपरेशन: पहाड़ी चढ़ाई और धावा
गुरुवार की रात को पुलिस ने अपना मास्टरस्ट्रोक खेला। रात 2 बजे कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से टीम पैदल रवाना हुई। ड्रोन और नाइट विजन बाइनोकुलर की मदद से पुलिस ने पहाड़ी की तीखी ढलान पर चढ़ाई शुरू की। अंधेरे में जंगल का रास्ता, जंगली जानवरों का डर, और गैंग की सतर्कता—हर कदम पर खतरा था।पहाड़ी की चोटी पर पहुंचकर पुलिस ने सो रहे चोरों को घेर लिया। लेकिन तभी सरगना रतन कंवर को पुलिस की भनक लग गई। वह बिना जूते पहने पहाड़ी से भागने लगा। भागते वक्त उसके पैरों में चोटें आईं, लेकिन पुलिस ने सूझबूझ से उसे दबोच लिया। पूरी टीम ने एक साथ धावा बोला और गैंग के चार सदस्यों को हिरासत में ले लिया।
गिरफ्तार हुए चार शातिर: अपराध की दुनिया के 'दिग्गज
पुलिस ने गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया:
रतनलाल (26) पुत्र नरसी: गैंग का सरगना, जिसके खिलाफ 17 मामले दर्ज हैं।
राजेंद्र लाल (31) पुत्र किशनलाल: 14 मामलों में वांछित।
शैतान (23) पुत्र पीवलाल: गैंग का अहम सदस्य।
कालूलाल (26) पुत्र सुरेश: 2 मामलों में आरोपी!
ये सभी मेघनिवास, बैंगू (चितौड़गढ़) के रहने वाले हैं। पूछताछ में इन्होंने रामसर, हरसाणी, और जोधपुर की चोरियों को कबूल किया। पुलिस का मानना है कि इनसे और कई वारदातों का खुलासा हो सकता है।
अभी बाकी है माल बरामदगी
पुलिस अब आरोपियों से चोरी का माल बरामद करने में जुटी है। एएसपी जसाराम बोस का कहना है कि गैंग से पूछताछ जारी है, और जल्द ही चोरी का सामान बरामद होने की उम्मीद है। पुलिस की टीमें दिन-रात मेहनत कर रही हैं ताकि पीड़ितों को उनका खोया हुआ सामान वापस मिल सके
*पुलिस की हिम्मत और तकनीक का कमाल:*
ये ऑपरेशन सिर्फ एक गैंग की गिरफ्तारी की कहानी नहीं, बल्कि बाड़मेर पुलिस की हिम्मत, सूझबूझ, और तकनीक के इस्तेमाल का जीता-जागता सबूत है। अरावली के घने जंगलों में रात 2 बजे पहाड़ी चढ़ना, ड्रोन और नाइट विजन का इस्तेमाल, और शातिर चोरों को दबोचना—ये सब किसी हॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं। एसपी नरेंद्र सिंह और उनकी टीम ने न सिर्फ बाड़मेर के लोगों का भरोसा जीता, बल्कि ये साबित कर दिया कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता
*निष्कर्ष: चोरों का अंत, पुलिस की जीत:*
अरावली के शातिर लुटेरों की ये कहानी रोमांच, रहस्य, और पुलिस की बहादुरी से भरी है। एक तरफ गैंग की चालाकी और शौचालय में छोड़े गए अजीब निशान, तो दूसरी तरफ पुलिस की जासूसी, तकनीक, और रात 2 बजे की खतरनाक चढ़ाई। इस कहानी का अंत गैंग की गिरफ्तारी और पुलिस की जीत के साथ हुआ। तो अगली बार अगर आप अपने शौचालय में कोई अजीब निशान देखें, तो फौरन पुलिस को फोन करें! कौन जानता है, शायद अरावली का कोई और गैंग आपकी संपत्ति पर नजर गड़ाए हो! बाड़मेर पुलिस को सलाम, जिन्होंने इस गैंग का खेल खत्म कर लोगों को राहत दी।

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