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"मां की महिमा अपार, भगवती का भक्त कभी होता नहीं लाचार"

"मां की महिमा अपार, भगवती का भक्त कभी होता नहीं लाचार" - शिवगुरु महाराज

लोहारी/मनावर। ग्राम लोहारी में सिर्वी समाज के धर्मगुरु पूज्यनीय श्री माधव सिंह राठौर (दीवान साहब) के सानिध्य में होने वाले श्री आई माताजी मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर दूसरे दिन श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा के दौरान वाचक श्री शिवगुरु जी महाराज ने मां जगदंबा की महिमा का सुंदर वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा— "मां" केवल एक शब्द नहीं, सम्पूर्ण सृष्टि की करुणा और ममता का सार है।

उन्होंने कहा, "मां की करुणा ऐसी होती है कि चाहे पुत्र कितनी ही रात गए घर लौटे, मां बिना भोजन कराए नहीं सोती। वह नींद में भी सजग रहती है, जैसे उसका अंतःकरण सदा जाग्रत हो। जिसकी मां नहीं होती, उसके जीवन में सूनापन होता है— कोई पूछने वाला नहीं होता कि ‘बेटा, तूने खाना खाया या नहीं।’"

शिवगुरु जी महाराज ने आगे कहा, "संसार में ऐसा कोई पाप नहीं जो भगवती की कृपा से मिट न सके। जो सच्चे भाव से मां जगदंबा की आराधना करता है, उसे कोई शक्ति पराजित नहीं कर सकती।" उन्होंने कहा कि सौभाग्यशाली वे हैं जिन्हें मां का निःस्वार्थ प्रेम मिलता है, और परम सौभाग्यशाली हम सब हैं कि आज देवी कथा श्रवण का पुण्य अवसर मिला है।

उन्होंने यह भी कहा कि— "हृदय से मां को पुकारो, वह अवश्य सुनती हैं। मां के चरणों में जो सुख है, वह संसार के किसी कोने में नहीं। जीवन में शास्त्र और शस्त्र, दोनों का संतुलन आवश्यक है, तभी जीवन की दिशा सही रहती है।"

इस अवसर पर सर्व सनातन समाज के गुरु भक्त, चतुर्थ पिठाधीश मुनि श्री 108 श्री सुमंत्र सागर जी महा मुनिराज के सुशिष्य मुनि श्री सुनील सागर जी ने जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा— "जीवन का वास्तविक सार है निःस्वार्थता। 84 लाख योनियों को पार कर हमें यह दुर्लभ मानव जीवन और वह भी क्षत्रिय वंश में जन्म प्राप्त हुआ है, इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "माताजी की दिव्य शक्तियाँ अदृश्य होती हैं, परंतु उनकी प्रभावशीलता असीम होती है। हमें अपने जीवन को इतना निर्मल बनाना है कि हम उन दिव्य शक्तियों को अनुभव कर सकें।"

कथा के दौरान वातावरण भक्ति, श्रद्धा और मां के जयकारों से गूंजता रहा। श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर कथावाचकों का स्वागत किया और मां जगदंबा से कल्याण की कामना की।

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