
फरीदाबाद में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और A ग्रेड ट्रॉमा सेंटर की मांग को लेकर रेफरमुक्त संघर्ष समिति का धरना जारी
फरीदाबाद, 4 मई 2025: फरीदाबाद की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, A ग्रेड ट्रॉमा सेंटर की स्थापना और शहर को रेफर मुक्त बनाने की मांग को लेकर रेफरमुक्त संघर्ष समिति के संयोजक सतीश चोपड़ा के नेतृत्व में 4 दिसंबर 2024 से सिविल अस्पताल फरीदाबाद के बाहर 24 घंटे का धरना जारी है। समिति ने सरकार से जनहित में तत्काल कदम उठाने की मांग की है, ताकि गरीब और जरूरतमंद मरीजों को दिल्ली के सरकारी अस्पतालों या निजी अस्पतालों की महंगी सेवाओं पर निर्भर न रहना पड़े।
प्रमुख मांगें और समस्याएं
A ग्रेड ट्रॉमा सेंटर की कमी: समिति ने बताया कि पूरे फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में एक भी A ग्रेड सरकारी ट्रॉमा सेंटर नहीं है। हाल ही में सरकार ने सिविल अस्पताल में 10 बेड के ट्रॉमा केयर सेंटर की घोषणा की है, जो शहर की आबादी और जरूरतों के हिसाब से नाकाफी है। यह कदम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है। केंद्र सरकार ने हरियाणा को ट्रॉमा सेंटर के लिए 201 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, लेकिन इस दिशा में प्रगति नगण्य है।
सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की अनुपस्थिति: सिविल अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, स्पाइन सर्जन, यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो साइकियाट्रिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट जैसे सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों का कैडर नहीं है। इसके चलते मरीजों को गंभीर बीमारियों के लिए दिल्ली रेफर किया जाता है। कैंसर उपचार और अल्ट्रासाउंड जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
छायंसा मेडिकल कॉलेज की बदहाल स्थिति: 2020 में अधिग्रहित श्री अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, छायंसा में 460 बेड, 360 ऑक्सीजन बेड और 50 वेंटिलेटर होने के बावजूद केवल जनरल ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड ही कार्यरत हैं। 85 डॉक्टरों के पदों के मुकाबले केवल 35 डॉक्टर कार्यरत हैं, जिसके कारण आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर जैसी सुविधाएं शुरू नहीं हो सकी हैं।
सिविल अस्पताल में रखरखाव की कमी: सिविल अस्पताल में करोड़ों रुपये की मशीनें, जैसे डिजिटल एक्स-रे मशीन और ऑक्सीजन प्लांट, रखरखाव के अभाव में बंद पड़े हैं। 99 बेड की एक्सीडेंटल इमरजेंसी का फर्श टूटा हुआ है, शौचालय खराब हैं, पीने का पानी उपलब्ध नहीं है, और फायर सेफ्टी का काम तीन साल से अटका हुआ है। अस्पताल में केवल एक लिफ्ट है, जो अक्सर खराब रहती है।
मोर्चरी की दुर्दशा: सिविल अस्पताल की मोर्चरी में केवल 14 फ्रीजर हैं, जिनमें से अधिकांश खराब रहते हैं। गर्मियों में शवों की दुर्गति आम है। समिति ने मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर कोल्ड रूम बनाने की मांग की है।
टीबी यूनिट का अभाव: लोकसभा क्षेत्र में 24 घंटे डॉक्टरों, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सुविधा वाली टीबी यूनिट नहीं है। टीबी मरीजों को जनरल इमरजेंसी वार्ड में रखा जाता है और गंभीर स्थिति में दिल्ली रेफर कर दिया जाता है।
आईसीयू और वेंटिलेटर की निष्क्रियता: सिविल अस्पताल में बच्चों और वयस्कों के लिए जनरल आईसीयू है, लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ और पर्याप्त डॉक्टरों के अभाव में वेंटिलेटर बंद पड़े हैं।
सीएचसी और पीएचसी की खराब स्थिति: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में अल्ट्रासाउंड, डॉक्टरों की उपस्थिति और दवाइयों की कमी आम है।
नशा मुक्ति केंद्र बंद: न्यूरो साइकियाट्रिस्ट की अनुपस्थिति के कारण सिविल अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र बंद है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोग नशा छोड़ने में असमर्थ हैं।
ऑर्थो इंप्लांट की अनुपलब्धता: सिविल अस्पताल में सरकारी वेंडर न होने के कारण मरीजों को बाजार से महंगे दामों पर ऑर्थो इंप्लांट खरीदने पड़ते हैं। समिति ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में इंप्लांट उपलब्ध कराने की मांग की है।
सरकार की घोषणाओं पर अमल नहीं
पिछले बजट सत्र में सिविल अस्पताल में ट्रॉमा केयर सेंटर, चार सीएचसी में ट्रॉमा सुविधा, 200 बेड का मातृ एवं शिशु केयर सेंटर, और सिविल अस्पताल व छायंसा मेडिकल कॉलेज में 50-50 बेड के आईसीयू बनाने की घोषणाएं हुई थीं। हालांकि, इनमें से किसी भी योजना पर जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ है।
समिति का आह्वान
रेफरमुक्त संघर्ष समिति के संयोजक सतीश चोपड़ा ने कहा, “हमारा धरना फरीदाबाद के नागरिकों के स्वास्थ्य अधिकारों के लिए है। सरकार को इन समस्याओं का युद्ध स्तर पर समाधान करना चाहिए, ताकि गरीब मरीजों को दिल्ली रेफर न करना पड़े और निजी अस्पतालों की लूट से बचाया जा सके।” धरने को अब तक 171 धार्मिक-सामाजिक संगठनों का समर्थन मिल चुका है।
सरकार से अपील
समिति ने सरकार से अपील की है कि वह स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए, A ग्रेड ट्रॉमा सेंटर स्थापित करे, सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भर्ती करे, और बुनियादी सुविधाओं जैसे मोर्चरी, आईसीयू, और नशा मुक्ति केंद्र को चालू करे। समिति ने चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा।