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आध्यात्मिक जागरण का महासंगम: सनातन संस्कृति महोत्सव में हुई नई पहल की घोषणा।

AABHUSHAN WORLD News: Vinod Verma नई दिल्ली, 4 मई 2025 —
दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित ‘सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव’ का समापन अत्यंत भव्यता, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ हुआ। विश्व जागृति मिशन द्वारा आयोजित इस महोत्सव में परम पूज्य सुधांशु जी महाराज के 70वें अवतरण महोत्सव के उपलक्ष्य में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह महोत्सव न केवल धार्मिक भावनाओं का केंद्र रहा, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति का मंच भी बना।

समारोह में परम पूज्य सुधांशु जी महाराज ने घोषणा की कि विश्व जागृति मिशन अब देशभर में 10 गुरुकुल तथा 108 बाल संस्कार केंद्र स्थापित करेगा। उन्होंने कहा, “आज भारत को केवल आधुनिक शिक्षा नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों पर आधारित शिक्षा की भी आवश्यकता है। यह गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र आने वाली पीढ़ियों को चरित्र, सेवा, और संस्कृति का ज्ञान देंगे।” इस संकल्प ने पूरे सभागार में भावनाओं की लहर दौड़ा दी और सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से इसका स्वागत किया।

महोत्सव में योग गुरु स्वामी रामदेव जी ने भी मंच से युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि "भारतीय संस्कृति में ही मानवता का कल्याण निहित है। जब तक हम योग, आयुर्वेद और वेदों की शिक्षाओं को नहीं अपनाएंगे, तब तक वास्तविक उन्नति संभव नहीं।" वहीं संत चिन्मयानंद जी महाराज ने सनातन धर्म को ‘भारत की आत्मा’ बताते हुए कहा कि "गुरुकुल प्रणाली केवल शिक्षा का माध्यम नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की धुरी रही है।"

मंच पर पूज्य मोरारी बापू जी, आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर जी, स्वामी कौशिक जी महाराज, जगद्गुरु स्वामी सतीशाचार्य जी महाराज सहित अनेक संतों की गरिमामयी उपस्थिति रही। राजनैतिक जगत से रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी संस्कृति और आध्यात्मिकता में निहित है। रेखा गुप्ता ने इस आयोजन को "राष्ट्रीय चेतना का पर्व" बताया।

तीन दिवसीय इस महोत्सव में रुद्राभिषेक, सत्संग, धार्मिक प्रवचन, संस्कृति रैली, और गुरु दर्शन जैसे कार्यक्रमों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक चेतना और आत्मबल प्रदान किया।

यह आयोजन केवल एक धर्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि यह एक आध्यात्मिक आंदोलन बनकर उभरा, जिसका उद्देश्य है — भारत को पुनः सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाना।

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