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एप्रूव्ड कॉलोनी का सपना दिखाकर मझधार में छोड़ा

मेरठ के गंगापुरम कॉलोनी के निवासी बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। 2005 में स्थापित इस कॉलोनी में सड़कें, सीवर और साफ पानी की व्यवस्था नहीं है। कॉलोनाइज़र ने वादे किए
कभी एक सुनहरे सपने की तरह दिखी गंगापुरम कॉलोनी, आज एक दर्द भरी हकीकत बन चुकी है। एक वादा था, अच्छी सड़कें होंगी, साफ पानी मिलेगा, सीवर और नालियों की व्यवस्था होगी, लेकिन अब, उस वादे की जगह सिर्फ इंतजार, तकलीफ और लड़ाई ने ले ली है। लोगों ने अपनी जिंदगी की कमाई इस भरोसे पर लगा दी कि उनका आने वाला कल बेहतर होगा, लेकिन आज वो ही लोग गंदगी, असुविधा और उपेक्षा के दलदल में फंसे हुए हैं। कॉलोनी के लोगों की लड़ाई आज भी जारी है, इस उम्मीद में कि शायद कोई सुने, कोई समझे, और कॉलोनी की स्थिति सुधर सके।मेरठ में मवाना रोड स्थित गंगापुरम कॉलोनी 2005 में कॉलोनाइजर के द्वारा बसाई गई थी। इसको एमडीए से एप्रूव्ड कराया गया और फिर लोगों को इसमें प्लॉट्स व मकान बेच दिए गए। एप्रव्ड कॉलोनी के नाम पर लोगों ने सभी प्लॉट्स खरीद लिए। सड़क, नालियां, सीवर और पीने के पानी की सुविधाओं के आश्वासन पर इस कॉलोनी में लोगों ने इन्वेस्ट किया, अच्छे खासे मकान बनाए और रहने लगे। लेकिन विडंबना ये है कि आजतक ना तो इस कॉलोनी में सड़कें ही बनीं, ना ही सीवर लाइन डाली गई, ना ही गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था की गई और ना ही लोगों का टंकी का पानी मिला। अब हालात ये हैं कि यहां रहने वाले लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि कॉलोनाइजर अब आकर ही नहीं झांकता। यहां रहने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैँ। बोले हिंदुस्तान की टीम ने इस कॉलोनी के लोगों से संवाद किया, तो उनका दर्द सामने आया। कॉलोनी में रहने वाले सावन चौधरी, संतोष कुमार, नरेंद्र सिंह, छतर सिंह और राजबीर बालियान का कहना है कि बीस साल पहले बनी इस कॉलोनी में 75 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं, 250 से ज्यादा लोग हैं। कॉलोनी एमडीए एप्रूव्ड है, लेकिन इसके हालात एक गांव से भी बदतर हैं। गांवों में आजकल सड़कें और खड़ंजे तो होते हैँ, लेकिन यहां तो कुछ भी नहीं है। लोगों ने यहां प्लॉट्स खरीदकर अपने मकान इसलिए बना लिए क्योंकि यह एमडीए एप्रूव्ड कॉलोनी है। सड़कें तो छोड़िये, यहां लोगों के लिए एक भी मूलभूत सुविधा नहीं है। महंगी जमीन खरीदी थी, लेकिन अब तो यहां जमीन के दाम एकदम नीचे गिर गए हैं। तब से आजतक केवल हम सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैं। टूटी सड़कों पर कैसे चलें गंगापुरम में रहने वाले ललित चौधरी, सीमा चौधरी, सुनीता सिंह और प्रशांत चौधरी का कहना है कि पूरी कॉलोनी में एक भी सड़क नहीं है। जब से कॉलोनी बनी है, तब से आजतक यहां के लोग सड़क के लिए तरस गए हैं। कॉलोनी में मवाना रोड वाले हाईवे से अंदर आते हैं तो सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है और कूड़ा करकट साइड में पड़ा रहता है। हालात ये हैं कि बरसात होते ही कॉलोनी की ये टूटी सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं। जिन पर चलना भी भारी होता है, कोई आता है तो यही कहता है, कैसी कॉलोनी में रहते हो, जहां सड़कें नाम को भी नहीं हैं। घर बनते हैं तो नालियां भी बनती हैं कॉलोनी निवासी कमलेश, पूनम रानी, पूनम त्यागी, कमन्द्रा देवी का कहना है कि कहीं भी नालियां नहीं बनी हैं। यहां रहने वाले लोग जैसे मकान बनते जा रहे हैं, वे अपने सामने नालियां भी बना लेते हैँ। ऐसे में धीरे-धीरे नालियां बनीं, लेकिन कहीं हैं तो कहीं नहीं हैं। इन नालियों के गंदे पानी की निकासी का कोई इंतजाम भी नहीं किया गया है। सभी घरों का पानी कॉलोनी के अंदर कॉलोनाइजर द्वारा बनाए गए एक गड्ढे में जाता है। जिसमें गंदगी से लोगों को बीमारियां होने लगी हैं। मानों इस कॉलोनी का कोई तारणहार नहीं है। पार्क, गड्ढा या तालाब कॉलोनी में रहने वाले अभिनव त्यागी, भावना धामा और संगीता शर्मा का कहना है, कि लोंगों के घरों का गंदा पानी जिस जगह जाता है, उसको कॉलोनाइजर ने पहले पार्क बताया था, इसके बाद उसको सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बताकर उसमें नालियों के गंदे पानी की निकासी करा दी। वहां गड्ढा किया गया था, जो अब तालाब में तब्दील हो गया है। उसको ना तो पार्क कह सकते, ना ही एसटीपी, हालात एकदम खराब हैं। सीवर लाइन पूरी कॉलोनी में कहीं भी नहीं है। इसके साथ ही कॉलोनी में डेरियां भी हैं, जहां से निकलने वाला गोबर नालियों में बहता है। पैदा हो रहे जहरीले कीड़े मकौड़े लोगों का कहना है कि कॉलोनी में एसटीपी के नाम पर तालाब में तब्दील इस जगह सांप, बिच्छू और जहरीले कीड़े पैदा होने लगे हैँ। मच्छरों के कारण कॉलोनीवासियों को डेंगू और संक्रमण से जूझना पड़ रहा है। कई बार तो इस तालाब से सांप निकलकर लोगों के घरों में घुस जाते हैं। आसपास रहने वाले लोग डर के साए में जी रहे हैं। इस संबंध में एमडीए ही नहीं शासन तक को शिकायत की जा चुकी है। कॉलोनी की समस्यओं को लेकर को कोर्ट तक मामला चल रहा है। कॉलोनी के डेवलपमेंट के लिए आदेश भी हो चुके हैं, जिसके चलते एमडीए को विकास का एस्टीमेट बनाकर दिया जा चुका है और कार्रवाई के लिए कहा जा चुका है। लेकिन आजतक कॉलोनी के लोग केवल इंतजार ही कर रहे हैं। पानी और बिजली की बड़ी समस्या कॉलोनी के लोगों का कहना है कि यहां पानी की टंकी वर्षों से खड़ी है, लेकिन इसका पानी आजतक घरों में नहीं पहुंचा। टंकी आजतक चली ही नहीं, ना ही कॉलोनी में पानी की पाइप लाइन बिछी है। बस टंकी शो पीस बनकर खड़ी है। कॉलोनी में खंभों पर छोटे-छोटे ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं और इनके तार मकानों से टच होकर जा रहे हैं। जिससे बड़ा हादसा होने का डर बना रहता है। ग्यारह हजार की लाइन में कई बार फॉल्ट हो चुके हैं और आग तक लग चुकी है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है, इस खतरे का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। कॉलोनी वासियों का दर्द कॉलोनी के बुजुर्ग और बुनियादी सुविधाओं के लिए लड़ने वाले राजबीर बालियान का कहना है कि कॉलोनाइजर ने 13850 वर्ग मीटर जमीन एमडीए से एप्रूव्ड कराकर प्लॉट काटे थे। फिर इस संपत्ति को मॉर्गेज संपत्ति दिखाकर बेच दिया गया। 2017 में इस कॉलोनी का सर्वे होने के बाद एक करोड़ 15 लाख रुपए का एस्टीमेंट बनाया गया था। एमडीए ने पांच साल तक इस मामले में कोई ऑर्बिट्रेटर नियुक्त ही नहीं किया, जो मध्यस्था कर मामले निबटाए। 2023 में डीएम ने एमडीए को एक करोड़ 15 लाख रुपये के साथ बीस लाख रुपये बैंक सिक्योरिटी जमा करने के लिए कहा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आदेश के बाद भी काम नहीं कॉलोनी के लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश पर पंद्रह दिन का समय दिया गया था। जिसके चलते कमिश्नर ने इस मामले में एमडीए को निर्देश जारी किए थे, छह महीने बीत गए। पिछले तीन महीने से समय सीमा की मांग की जा रही है, लेकिन एमडीए कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। कॉलोनी के बाहर नाला बनाया जा रहा था, लेकिन वह भी नहीं बन पाया है। ऐसे में कॉलोनी के गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था जस की तस है। क्योंकि कहीं भी सीवर लाइन नहीं डाली गई। लोगों के घरों का पानी केवल नालियों में बहता है और वहां से खाली जगह पर। समस्या - बुनियादी सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है - सड़कें तो कॉलोनी के अंदर कहीं भी नहीं हैं - सीवर लाइन पूरी कॉलोनी में कहीं भी नहीं है - साफ-सफाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है - 11 हजार केवी की लाइन से खतरा बना रहता है - एसटीपी के नाम पर बनाया गड्ढा खतरा बन चुका है - पानी की टंकी, पार्क और लाइटिंग एकदम खराब सुझाव - कॉलोनी को बुनियादी सुविधाएं मिलें तो बने बात - चलने के लिए सड़कों का निर्माण कराया जाए - कॉलोनी में सीवर लाइन डालकर निकासी सुनिश्चित हो - कॉलोनी के अंदर साफ-सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए - खतरा बनी 11 हजार केवी की लाइन का समाधान हो - एसटीपी के नाम पर बने गड्ढे को बंद कराया जाए - पानी की टंकी, पार्क और लाइटिंग की व्यवस्था हो लोगों का दर्द जब से यह कॉलोनी बनी है, आजतक इसमें सड़क नहीं बन पाई, नालियां हैं नहीं और गंदा पानी एसटीपी के नाम पर बने गड्ढे में जाता है। - सावन चौधरी कॉलोनी के अंदर बना गहरा गड्ढा अब तालाब बन चुका है, इसे पार्क भी बताया गया था, जिसमें कई बार बच्चे भी गिरते-गिरते बचे हैं। - संतोष कुमार कॉलोनी में चलने लायक अगर कहीं सड़क दिख जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता, सालों से सड़क की आस में लोग बस जीवन बिता रहे हैं। - नरेंद्र सिंह कॉलोनी में आते हुए भी डर लगता है, रात के अंधेरे में कॉलोनी डूब जाती है, लोगों ने अपने खर्चे पर कुछ लाइटिंग की व्यवस्था की। - छतर सिंह कॉलोनी के विकास और मूलभूत सुविधाओं के लिए यहां रहने वाले लोग लड़ रहे हैं, पता नहीं कब जाकर कॉलोनी का डेवलपमेंट होगा। - राजबीर बालियान कॉलोनी में पानी की टंकी है, लेकिन वह आजतक चालू नहीं हुई, इसलिए लोगों ने सबमर्सिबल लगा रखे हैं, टंकी शोपीस बनी हुई खड़ी है। - ललित चौधरी मकान मालिकों ने घरों के बाहर खुद ही नालियां बनवाई हैं, गंदा पानी कॉलोनी में पहले पार्क और फिर एसटीपी के नाम पर बने गड्ढे में जाता है। - सीमा चौधरी कॉलोनी में सड़कें, नालियां और सीवर लाइन बिछ जाए, तो लोगों को राहत मिल जाए, लेकिन इस मामले में आश्वासन ही मिलता है। - सुनीता सिंह सड़कें आजतक नहीं बनी हैं, कॉलोनी के लोग अपने हक के लिए लड़ रहे हैँ, सड़कें, सीवर और नालियों के बनाने की मांग की गई है। - प्रशांत चौधरी कॉलोनी एमडीए एप्रूव्ड है, इसके बाद भी यहां आज तक सीवर लाइन नहीं डाली गई है, जिससे गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। - कमलेश देवी कॉलोनी में जिस पार्क को खोदकर एसटीपी बनाने का प्लान था, अब वहा तालाब बन चुका है, यहां रहने वाले एसटीपी तो भूल ही चुके हैं। - पूनम रानी गड्ढे में भरे पानी में बदबू आती है, कॉलोनी के लोगों का रहना मुश्किल हो जाता है, जहरीले कीड़े मकौड़े निकलकर घरों में घुस जाते हैं। - पूनम त्यागी ग्यारह हजार की लाइन घरों को छूती हुई जा रही है, कई बार फॉल्ट भी हो चुके हैं, आग लग चुकी है, लेकिन इसका समाधान नहीं हुआ। - कमन्द्रा देवी बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के टहलने के लिए कोई पार्क यहां नहीं है, गंदगी से नालियां अटी पड़ी रहती हैं, सड़के कहीं भी नहीं है। - अभिनव त्यागी बरसात में तो नालियों और सड़क का पता ही नहीं चलता, गंदगी टूटी सड़क पर बहती है, पूरी कॉलोनी में निकासी कहीं भी नहीं है। - भावना धामा कॉलोनी के लोग पूरी तरह त्रस्त हो चुके हैं। बस अब किसी भी तरह समाधान हो जाए, सड़के, नालियां और सीवर बन जाएं।

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