
नाट्यमणि रत्न सम्मान से सम्मानित हुए वैशाली जिले के दो कलाकार
साहित्यिक ,सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था कविवर पुरुषार्थ कला मंच दानापुर कैंट ,पटना के तत्वावधान में व्यापुर मनेर, पटना में एकल नाटक श्रृंखला आयोजित की गई । जिसमें वैशाली जिले के दो कलाकार उमेश कुमार निराला द्वारा "ऊर्जा संकट" एवं डॉक्टर सुधांशु कुमार चक्रवर्ती द्वारा" सत्ता" एकल नाट्य प्रस्तुति हेतु नाट्यमणि रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। कैप्टन अनंत विजय सिंह ,रूपक कुमार, अधिवक्ता राजीव रंजन एवं व्याख्याता डॉक्टर सकलदेव सिंह ने अंग वस्त्र ,मेंमेंटो एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु सम्मानित किया। रंगकर्मी उमेश कुमार निराला द्वारा प्रस्तुत एकल नाटक" ऊर्जा संकट" भारत सरकार एवं बिहार सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं पर आधारित रहा। इस नाटक के माध्यम से मिशन लाइफ के साथ बिंदु ऊर्जा एवं पानी की बचत, एकल उपयोग प्लास्टिक का बहिष्कार , सतत् खाद्य प्रणाली को अपनाना , ठोस अपशिष्ट को कम करना ,ई वेस्ट को कम करना एवं स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना पर बल दिया गया। बढ़ती आबादी और मनुष्य ने अपने सुख -सुविधा के लिए पर्यावरण को दूषित कर दिया है। आज धरती माता चीख -चीखकर कह रही है- मैं धरती हूं ।आज से करोड़ों वर्ष पहले मैं अस्तित्व में आयी।उस समय पर्यावरण मेरे रूप का श्रृंगार था। बर्फ से लदी पहाड़ों की चोटियां ,नदियां, झीलें और दूर-दूर तक फैले समुद्र मेरा आंचल था । मटियाले रेगिस्तान ,रंग-बिरंगे फूल, फल और वनस्पतियां मेरी शोभा बढ़ाती थी। खुले हवाओं में पशु पक्षियों एवं जानवर मेरी सहयोगी थे और सुबह-सुबह खुले आसमानों में पेड़ों पर बैठकर पक्षियां मीठे-मीठे गीत सुनाते थे। इन सबों के जन्मदाता होने के कारण मुझे धरती माता कहा जाता है। लेकिन आज मेरी स्थितियां बद् से बद्तर होती जा रही है । अब मेरा अस्तित्व खतरे में है । पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाना एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। डॉ सुधांशु कुमार चक्रवर्ती द्वारा "सत्ता "नाटक की प्रस्तुति की गई । जिसमें सूरज से पृथ्वी की उत्पत्ति,पृथ्वी पर बंदर से मानव का विकास फिर पूर्व पाषाण काल से लेकर कंप्यूटर युग तक मानव सभ्यता का विकास ,भूमंडलीकरण एवं बाजारवाद के दौर में अर्थतंत्रीय प्रणाली में मशीन बनता मानव दर्शाया गया है।