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आखिर ज्येष्ठ माह में आने वाले मंगलवार को ही बड़ा मंगल क्यों कहा जाता है, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं

*धनबाद :* अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर ज्येष्ठ माह के मंगलवार को ही 'बुढ़वा मंगल' क्यों कहा जाता है? ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीना साल का तीसरा महीना होता है, जो कि धार्मिक रूप से बहुत खास माना जाता है। इस महीने के मंगलवार को ‘बड़ा मंगल’ या ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से पूजा की जाती है। खासतौर पर इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन हनुमान जी के साथ भगवान राम की आराधना करने से भी जीवन में सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति मिलती है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर ज्येष्ठ माह के मंगलवार को ही ‘बुढ़वा मंगल’ क्यों कहा जाता है? दरअसल, इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं।
*हर साल मनाया जाता है बुढ़वा मंगल*
ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है, लेकिन इनमें से सबसे पहला मंगलवार सबसे विशेष होता है। इस बार ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल 13 मई को है। मान्यता है कि इसी दिन से बुढ़वा मंगल की परंपरा शुरू होती है। इस दिन लोग इस दिन व्रत रखते हैं, हनुमान जी को भोग लगाते हैं, मंदिरों में भंडारे होते हैं और गरीबों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
*राम-हनुमान की पहली भेंट*
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम माता सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे, तब उनकी पहली मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। हनुमान जी उस समय एक ब्राह्मण के रूप में राम और लक्ष्मण से मिले थे। यह भेंट ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हुई थी, इसलिए इस दिन को विशेष माना जाता है। इस दिन से ही भगवान राम और हनुमान के अटूट संबंध की शुरुआत मानी जाती है।
*भीम का घमंड तोड़ने की कथा*
एक अन्य कथा के अनुसार, हनुमान जी एक बार विश्राम कर रहे थे और उनकी पूंछ रास्ते में फैली हुई थी। उसी रास्ते से पांडवों में सबसे बलशाली भीम गुजर रहे थे। भीम ने हनुमान जी को बूढ़ा वानर समझते हुए पूंछ हटाने को कहा। हनुमान जी ने कहा कि यदि तुम शक्तिशाली हो तो खुद ही पूंछ हटा लो। भीम ने कई बार कोशिश की लेकिन पूंछ को हिला भी नहीं सके। बाद में जब हनुमान जी ने अपना असली रूप दिखाया तो भीम ने शर्मिंदा होकर क्षमा मांगी। यह घटना भी ज्येष्ठ के मंगलवार को ही मानी जाती है, इसलिए इस दिन को ‘बुढ़वा मंगल’ कहा गया।
*लंका दहन की घटना भी इसी दिन हुई मानी जाती है*
रामायण काल की एक और कथा में बताया गया है कि रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई थी, जिसके बाद हनुमान जी ने पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया था। यह घटना भी ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हुई मानी जाती है। इस कारण भी इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। वहीं, मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी को अमरता का वरदान भी ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को ही प्राप्त हुआ था। वे सात चिरंजीवियों में एक हैं और माना जाता है कि आज भी वे जीवित हैं और भक्तों की रक्षा कर रहे हैं। इस कारण भी इस दिन को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है।
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