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ईसानगर से रुखसती पर अड़े बीडीओ साहब! स्थानांतरण के बाद भी कार्यभार नहीं सौंपा, शासनादेश की खुली अवहेलना

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी तत्काल प्रभावी स्थानांतरण आदेश के बावजूद ईसानगर विकासखंड के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) प्रदीप कुमार चौधरी अब तक अपने नए कार्यस्थल बरेली जनपद में योगदान देने नहीं पहुंचे हैं। इससे शासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं और स्थानीय प्रशासन की साख पर भी आंच आ रही है।

गौरतलब है कि दिनांक 27 मई 2025 को कार्यालय आयुक्त ग्राम विकास विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी पत्रांक संख्या 2248(174)/स्था0 प्र0/2025 के तहत श्री चौधरी का स्थानांतरण तत्काल प्रभाव से बरेली जनपद के लिए किया गया था। आदेश में स्पष्ट निर्देश था कि अधिकारी बिना प्रतिस्थानी की प्रतीक्षा किए तुरंत नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करें। यह आदेश आयुक्त के निर्देश पर सहायक आयुक्त विकास सुश्री आस्था पांडे के डिजिटल हस्ताक्षर सहित निर्गत किया गया था।

शासन के आदेश की अनदेखी, सवालों के घेरे में अफसरशाही

परंतु, हैरानी की बात यह है कि आदेश जारी हुए एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी प्रदीप चौधरी अभी तक ईसानगर विकासखंड में न केवल जमे हुए हैं, बल्कि पेंडेंसी भी ले रहे है, मीटिंग, निर्देश, फाइल निस्तारण व अन्य कार्य भी पूर्ववत कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक आदेशों की अवमानना है, बल्कि उत्तर प्रदेश शासन की नियामक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।

‘जय हिंद पेड़ा’ की मिठास या सत्ता का संरक्षण?

सूत्रों की मानें तो श्री चौधरी कुछ प्रभावशाली जनप्रतिनिधियों के माध्यम से तैनाती निरस्त करवाने के प्रयास में सक्रिय हैं। स्थानीय स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि ईसानगर की प्रसिद्ध मिठाई ‘जय हिंद पेड़ा’ साहब की कमजोरी बन चुकी है और अब यहां से विदा होना उन्हें रास नहीं आ रहा।

एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “बीडीओ साहब ने मिठाई वितरित की है और संभवतः इसी के साथ उन्हें यथास्थिति बनाए रखने का कोई मौखिक आश्वासन मिला है।”

प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

इस पूरे प्रकरण में प्रशासन की चुप्पी भी उतनी ही चिंताजनक है। जब आयुक्त स्तर से जारी आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है, तो फिर जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी की जवाबदेही पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है। यह स्थिति दर्शाती है कि कहीं न कहीं अफसरशाही के भीतर ही संरक्षण का जाल फैला हुआ है, जो आदेशों की अवहेलना को सहज बना रहा है।

अब इंतजार शासन की कार्रवाई का

अब देखना यह है कि शासन इस प्रकरण को किस गंभीरता से लेता है। क्या बीडीओ साहब पर कोई विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य चर्चित स्थानांतरण आदेशों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

फ़िलहाल, ईसानगर के गलियारों में चर्चाओं की गर्मी और पेड़े की मिठास, दोनों अपने चरम पर हैं...

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