
उत्तराखंड जल विद्युत निगम बना कई हजार हरे पेड़ों का दुश्मन
डाकपत्थर-कुल्हाल क्षेत्र में यमुना जल विद्युत निगम की जमीनों पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई, पर्यावरण और जीव-जंतुओं पर संकटविकासनगर (देहरादून): तहसील विकासनगर के अंतर्गत डाकपत्थर नई कॉलोनी से कुल्हाल तक यमुना जल विद्युत निगम की जमीनों पर इन दिनों बड़े पैमाने पर हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। इस कार्य से न केवल पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है, बल्कि पेड़ों पर आश्रित असंख्य जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और कई बेघर हो गए हैं। स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों में इस कटाई को लेकर भारी रोष व्याप्त है।जानकारी के अनुसार, यमुना जल विद्युत निगम की जमीनों पर सैकड़ों हरे पेड़ों को बिना किसी स्पष्ट अनुमति या पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के काटा जा रहा है। ये पेड़ न केवल क्षेत्र की हरियाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण थे, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने और वन्यजीवों को आश्रय प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाते थे। कटाई के कारण पक्षियों, गिलहरियों और अन्य छोटे जीवों के आवास नष्ट हो गए हैं, जिससे उनकी生存 पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि पेड़ों की कटाई रात के समय या गुपचुप तरीके से की जा रही है, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ रहा है। एक स्थानीय निवासी, रमेश चंद्र ने बताया, "ये पेड़ हमारे क्षेत्र की शान थे। इनके बिना न केवल गर्मी बढ़ेगी, बल्कि हवा की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। वन विभाग और प्रशासन को इस पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।"पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस तरह की अनियोजित कटाई से मिट्टी का कटाव, बाढ़ का खतरा और जैव विविधता का नुकसान बढ़ सकता है। उन्होंने मांग की है कि कटाई के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पारदर्शी नीति बनाई जाए।हालांकि, यमुना जल विद्युत निगम के अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन इस मुद्दे को लेकर एकजुट हो रहे हैं और जल्द ही विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश स्वीकार्य नहीं है।आवश्यक कार्रवाई की मांग:पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक।कटाई की अनुमति और पर्यावरणीय प्रभाव का खुलासा।प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वृक्षारोपण की योजना।दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई।इस घटना ने एक बार फिर विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया है। प्रशासन और निगम से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले में त्वरित और पारदर्शी कदम उठाएंगे, ताकि पर्यावरण और जीव-जंतुओं को और नुकसान से बचाया जा सके।