नगर निगम पानीपत अधिकारी बिना जाँच किये जोड़ रहे पुरानी आई डी व नई आई डी |
नगर निगम में प्रॉपर्टी आईडी को लेकर आए दिन कोई ना कोई नई गड़बड़ी सामने आती है ताजा मामला भगत नगर दुष्यंत नगर तहसील कैंप का है जहां पर प्रवीण रानी व उनके पति अपनी प्रॉपर्टी आईडी ठीक करवाने के लिए 2 महीने से निगम के धक्के खा रहे हैं | उन्होंने कहा कि निगम अधिकारी को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी की आई डी किसी को दे दे वो भी बिना जाँच पड़ताल के | यह है मामला : प्रवीण रानी ने एक प्लांट वासिका नंबर 11016 दिनांक 21/2/2023 को महेंद्र कुमार आशू व सुरेश कुमार से खरीदा जिसमे की नगर निगम की नई प्रॉपर्टी आईडी 1GAHRLLO व पुरानी प्रॉपर्टी आईडी P03700340763 पिछले मालिक द्वारा दी गई जो की उनकी रजिस्ट्री के पीछे लिखी हुई है जिसे की 28/4/25 को online दस्तावेज लगवा कर प्रवीण रानी ने 28/4/2025 को अपने नाम करवा कर सेल्फ सर्टिफाइड भी करवा लिया | 12/5/2025 को प्रवीण रानी को नगर निगम द्वारा एक मैसेज आया जिसमें कि उन्होंने 12/5/2025 को नगर निगम में जाकर पता किया तो बताया गया कि उनकी नई आईडी (1GAHRLLO) जो 2023 में निगम द्वारा दी गई व सेल्फ सर्टिफाइड है उस पर सतबीर द्वारा अपने नाम करने के लिए आपत्ति लगाई गयी है | 13/5/2025 नगर निगम जाने पर रमेश (नगर निगम कर्मचारी ) द्वारा बताया गया कि 1GAHRLLO पर फोटो सतबीर के मकान की है परंतु सतबीर की पुरानी आईडी P03700340096 है | जोकि रमेश (नगर निगम कर्मचारी) को मना करने पर भी बिना किसी तथ्यों व जांच के उसने सेल्फ सर्टिफाइड आईडी को प्रवीण रानी के नाम थी सतवीर के नाम दर्ज कर दिया | प्रवीण रानी का कहना है कि नगर निगम कर्मचारी बिना देखे काम कर रहे हैं यदि नई आईडी सतबीर की थी तो उसे पहले नगर निगम कर्मचारियों द्वारा महेंद्र कुमार आशू व सुरेश कुमार के नाम क्यों दर्ज किया गया | इसके बाद इन्हें एनडीसी ( 037/2022-2023/0371598704 ) भी दे दी गई इसके बाद प्लाट प्रवीण रानी के नाम हुआ | प्रवीण रानी द्वारा बिना देरी किए सीएम विंडो पर कंप्लेंट CMOFF/N/2025/048122 दिनांक 13/5/25 को व CEA868 दिनांक 15/5/25 को समाधान शिविर में दी परंतु नगर निगम कर्मचारी द्वारा कोई भी समाधान नहीं किया गया | दिनांक 25/5/25 आयुक्त नगर निगम पानीपत , उपायुक्त पानीपत , डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी हरियाणा , सी एम हरियाणा आदि को ईमेल द्वारा सभी संबंधित दस्तावेज साथ लगाकर कंप्लेंट दी गई परंतु कोई भी समाधान इस बारे आज तक नगर निगम द्वारा नहीं किया गया है | उन्होंने कहा कि यदि नई आई डी सतबीर की है जैसा अधिकारी कह रहे हैं तो पुरानी आई डी पुराने मालिक आशु महेंद्र सुरेश के नाम थी जो उन्हे दी जानी चाहिए निगम द्वारा न कि सतबीर को और सतबीर की पुरानी आई डी नही जोड़ी नई आई डी के साथ | निगम अधिकारी जान बुझ कर बिना जाँच के गलत आई डी जोड़ते है | निगम अधिकारी की गलती के कारण अब वह पिछले 2 महीने से नगर निगम के अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं परंतु कोई यह बताने को तैयार नहीं कि उनकी नई आई डी कौन सी है या कैसे बनेगी | उन्होंने मीडिया के माधयम से सरकार व आला अधिकारियों से इसकी जाँच करवाने व दोषी अधिकारियों पर उचित विभागीय कार्यवाही की माँग की है |