पिता हैं तो सब कुछ है
"पिता हैं तो सब कुछ है"
(Father’s Day पर समर्पित)
हर दिन पिता का है, हर लम्हा उनका साया,
उनसे ही तो पाया सब कुछ, वरना जीवन था सूना साया।
ख़ुद पुराने कपड़ों में जी लिए चुपचाप सालों तक,
पर हमारे लिए नई चीज़ों से भर दिया हर एक पल का पलक।
स्कूल छोड़ने रोज़ चले आते, फिर लेने वक्त से पहले,
धूप में खुद खड़े रहे, बस हमें धूप न छू ले कहीं से।
रास्ते में जूस पिलाना, भूख उन्हें भी थी, पर पहले हमारी,
खुद भूखे रह गए कई बार, पर थाली हमारी भरी सारी।
कभी गुस्से में बोल दिया — "पापा! बार-बार कॉल न किया करो,"
पर सच तो ये है, हर कॉल में छुपा था प्यार — जो कोई न समझ सको।
आज भी कहीं जाते हैं तो पूछते दस बार —
"बेटा, पहुँच गया? ठीक है न? कुछ चाहिए तो बता यार।"
इतनी फ़िक्र, इतना ध्यान, इतना सच्चा एहसास,
दुनिया में कोई और नहीं जो दे सके ऐसा विश्वास।
उनके कारण ही तो हूँ मैं, उनके कारण है मेरी पहचान,
उनके बिना ये सारी दुनिया लगती है जैसे वीरान।
मैं अमीर हूँ, क्योंकि मेरे पास पिता हैं,
उनका प्यार, उनका साया — खुदा से कम नहीं ये दुआ हैं।
लव यू पापा, दिल से,
हैप्पी फादर्स डे।