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प्रतापगढ़ शहर की बिजली व्यवस्था ध्वस्त, जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश से विशेष रिपोर्ट


उत्तर प्रदेश के बाहुबली कहे जाने वाले प्रतापगढ़ जिले की राजधानी प्रतापगढ़ शहर में इन दिनों बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। दहिलामऊ पावर हाउस की हालत ग्रामीण क्षेत्रों से भी बदतर हो चुकी है। आमजन घंटों बिजली के इंतज़ार में तड़पते हैं, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई परवाह नहीं।


स्थानीय लोगों का आरोप है कि जेई (जूनियर इंजीनियर) साहब "सूर्य अस्त, जेई मस्त" के फॉर्मूले पर चलते हैं। जैसे ही शाम होती है, उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो जाता है और वह घर में आराम फरमाते हैं। न तो फोन उठाते हैं, न ही किसी समस्या का समाधान करते हैं।


पावर हाउस का टोल फ्री नंबर भी महज एक दिखावा बनकर रह गया है — न कॉल रिसीव होती है, न शिकायतों का निपटारा। जनता बिजली न होने से बेहाल है, लेकिन अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।


जनता का सवाल:

  • क्या शहर में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए कोई जवाबदेह नहीं?
  • कब तक अधिकारी आम जनता की पीड़ा से मुंह मोड़ते रहेंगे?
  • क्या शासन-प्रशासन ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा?

ज़रूरत है तत्काल सुधार की, ताकि प्रतापगढ़ जैसे संवेदनशील और प्रमुख जिले की जनता को मूलभूत सुविधा — बिजली — से वंचित न रहना पड़े।


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