logo

चाइनीज मांझे से परिंदों की जान को खतरा:प्रयागराज में कबूतर घायल, प्रशासन ने प्रतिबंधित मांझे के खिलाफ शुरू की कार्रवाई(Ankit Dubey Journalist)

चाइनीज मांझे से परिंदों की जान को खतरा:प्रयागराज में कबूतर घायल, प्रशासन ने प्रतिबंधित मांझे के खिलाफ शुरू की कार्रवाई
प्रयागराज2 घंटे पहले


सूरज की सुनहरी किरणों में उड़ान भरते कबूतरों के झुंड में वो भी शामिल था। सफेद-भूरा एक जंगली कबूतर, जिसे उड़ना सबसे ज़्यादा पसंद था। संगम के आसमान को अपना घर मानता था वो। लेकिन उस दिन उसकी किस्मत में उड़ान नहीं, दर्द लिखा था।


प्रयागराज के सिविल लाइंस स्थित संगम पैलेस के पास तेज़ हवा में लहराती पतंगों के बीच वो भी उड़ रहा था, तभी अचानक एक पतली सी चमचमाती डोर ने उसकी आज़ादी छीन ली। पलक झपकते ही मांझा उसके पंखों में उलझ गया। काफी देर तक परिंदा उस डोर में फंसा तड़पता, फड़फड़ाता, चीखता रहा। परिंदों की दुनिया में कोई एम्बुलेंस नहीं आती, कोई डॉक्टर नहीं होता बस दर्द होता है और इंतज़ार या तो मदद का, या मौत का।

वो मदद मिली, देर से ही सही। आसपास मौजूद लोगों ने उसे मांझे से छुड़ाया, लेकिन उसके पंखों में गहरे कट लग चुके थे। खून रिस रहा था, और उसकी आंखों में... एक डर था, जैसे वो जान चुका हो कि अब वो शायद कभी उड़ न सके। एक परिंदा, जिसकी पहचान ही उसकी उड़ान थी, अब ज़मीन पर बैठा था जैसे सज़ा मिली हो उसे आसमान छूने की।

चाइनीज मांझा एक धागा नहीं, एक चलती फिरती मौत है। इंसानों की जिद, शौक और प्रतियोगिता की भूख ने इस मांझे को बाजारों में ज़िंदा रखा है, जबकि कानून ने इसे सात साल पहले ही बैन कर दिया था। ना सिर्फ परिंदे, बल्कि बच्चे, बाइक सवार, बुजुर्ग इस खूनी धागे के आगे हर कोई बेबस है। पूरे देश में कोई न कोई इसका शिकार होता रहता है।

लेकिन अब प्रशासन ने कमर कस ली है। प्रयागराज के डीएम रवींद्र कुमार ने चाइनीज मांझे के खिलाफ विशेष मुहिम शुरू की है। दुकानों पर छापेमारी हो रही है, गोदामों की जांच की जा रही है और जहां भी यह मौत की डोर मिल रही है, वहीं से उसकी कहानी खत्म की जा रही है। डीएम की अपील है"उड़ान का उत्सव मनाइए, लेकिन किसी की ज़िंदगी की कीमत पर नहीं।

12
373 views
  
1 shares