हृदय विदारक बोइंग विमान
की दुर्घटना पर लेखनी की
नोक पर उतरी कुछ पंक्तिया..
उमंगे परवान चढी थी,
मौत मुंह बांए खडी थी,
कलिया कईं जो खिल न
पाईं,आधिंयों की भेंट
चढी थी ।
सपने टूटे,आशा टूटी,
खुशियां रूठ गई
अचानक,मंजर पहले
कभी न देखा,
अट्टहास था महा
भयानक।
खो गए अपने,
सो गए सपने,
वक्त ने किए कैसे
ये सितम,
सह न सकेगें वार
ये निर्मम।
आस्मां तुम सच
बताना,
क्या बरसा पाओंगे
इतना,इन बेबस
आंखो ने आंसू
बरसाएं जितना।
उन निदोँषो का क्या
कुसूर था,
जो कू्ूर काल की
भेंट चढ़ गए,
उन हंसते चेहरों का
किससे बैर था?
जो याद बनकर
शीशों के फ्रेमों में
मढ गएं।
जब अग्नि वर्षा
कर रहें थे सूर्य तुम
मध्याह्न में,
क्या हुआ था,
उस समय उस
बोईंग विमान में?
सैंकडो सूरज हमारे
अस्त हों गए मध्याह्न
में,
हमें भी बतलाओं,
जो कुछ रहा तुम्हारे
ध्यान में।
आलेख: नरेंद्र मोहन शर्मा, सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, किशनगढ़ (अजमेर)