
मोदी की भुवनेश्वर यात्रा: धर्म, विकास और राजनीति का संगम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भुवनेश्वर यात्रा एक बहुआयामी संदेश लेकर आई — जिसमें धर्म-संस्कृति, विकास और राजनीति का समन्वय स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। अपने दौरे में उन्होंने 18,600 करोड़ रुपये की 105 से अधिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें जलापूर्ति, सड़क, रेलवे, स्वास्थ्य और शहरी सुधार जैसी योजनाएं शामिल थीं।
विशेष बात यह रही कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के G7 समिट डिनर निमंत्रण को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ की धरती को प्राथमिकता दी है। इसने उनके "भारत प्रथम" दृष्टिकोण और ओडिशा से भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाया।
रोडशो के दौरान जनता में जबरदस्त उत्साह दिखा, लेकिन सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण के नाम पर दो घंटे तक शहर की आवाजाही प्रभावित रही, जिससे कुछ असंतोष भी देखने को मिला।
वहीं, कांग्रेस ने पीएम की इस यात्रा पर सवाल उठाए और मांग की कि उन्हें गैंगरेप पीड़िता और हैजा प्रभावित इलाकों का भी दौरा करना चाहिए था, जहां 11 जिलों में 17 मौतें हो चुकी हैं। पार्टी ने इस मुद्दे पर भुवनेश्वर में धरना और भूख हड़ताल भी की।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा एक तरफ़ जहां बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं की सौगात और धार्मिक भावनाओं के सम्मान की प्रतीक बनी, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर ध्यान न देने को लेकर विपक्ष ने आलोचना भी की। यह दौरा निश्चित रूप से राजनीतिक और भावनात्मक रणनीति का उदाहरण बना।