
निजीकरण हुआ तो बिजली किसान व गरीब की पहुंच से बाहर हो जाएंगी : सुभाष लांबा
ऊर्जा क्षेत्र को बचाने के लिए 27 लाख बिजली कर्मी 9 जुलाई को करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल
निजीकरण हुआ तो बिजली किसान व गरीब की पहुंच से बाहर हो जाएंगी : सुभाष लांबा
*ब्यूरो संवाददाता :- प्रवीण कुकरेजा*
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ऊर्जा क्षेत्र को बचाने के लिए 27 लाख बिजली कर्मी 9 जुलाई को करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल
वादाखिलाफी से नाराज़ संयुक्त किसान मोर्चा भी हड़ताल का करेगा समर्थन : धर्मचंद घूघेरा
पलवल, 21 जून, इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार बिजली डिस्कॉम का निजीकरण करने पर उतारू है। उन्होंने कहा कि निजीकरण होने के बाद बिजली किसान और गरीब की पहुंच से दूर हो जाएगी। क्योंकि निजीकरण के बाद किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी और क्रास सब्सिडी खत्म हो जाएगी।यह बात श्री लांबा ने पलवल जिले के ककराली गांव में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कही। इस सभा में अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा के जिला प्रधान धर्मचंद घूघेरा, ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के राज्य उप प्रधान जितेन्द्र तेवतिया, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान राजेश शर्मा, पलवल खंड के प्रधान राजकुमार डागर आदि मौजूद थे। किसान सभा के जिला प्रधान धर्मचंद घूघेरा ने कहा कि सरकार ने किसानों से वादाखिलाफी की है। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने भी हड़ताल का पुरजोर समर्थन का फैसला किया है। सभा में मौजूद ग्राम वासी धर्मेंद्र, समय राम, देसराज फौजी,लाला राम,चंदन सिंह व खेमा फौजी ने बताया कि गांववासियों ने सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव में 9 जुलाई की हड़ताल और उसके मुद्दों का समर्थन किया।
श्री लांबा ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के लिए बिजली आपूर्ति सेवा है और प्राईवेट कंपनी के लिए बिजली व्यापार है और कोई भी व्यापारी घाटे का सौदा नहीं करता। उन्होंने बताया कि सभी खर्चों को जोड़कर बिजली की एक यूनिट करीब 7.50 में पड़ती है। प्राईवेट कंपनियां को 16 प्रतिशत मुनाफा लेने की अनुमति दी गई है। जिससे एक यूनिट का रेट करीब दस रुपए प्रति यूनिट होगा। उन्होंने कहा कि 7.5 एचपी का ट्यूबवैल प्रति दिन 6 घंटे चले तो करीब 34 यूनिट खप्त होगी। यानी 340 रुपए प्रतिदिन खर्च आएगा। इसको तीस दिन से गणना की जाए तो किसान का एक महीने का 10200 रुपए का बिल आएगा। जिसको किसान भर ही नहीं पाएगा।
उन्होंने कहा कि अब पूराने मीटरों को बदलकर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। इससे प्रत्येक उपभोक्ता को देर सवेर प्रति प्रीपेड स्मार्ट मीटर 8,000-12,000 रुपये का भुगतान करना होगा और इसका अधिकतम जीवनकाल लगभग 7-8 वर्ष है। भारत में करीब 26 करोड़ उपभोक्ता हैं, यह लोगों की जेब से 26 x 10,000 = 2,60,000 करोड़ रुपये की सीधी लूट है। इन स्मार्ट मीटरों की स्थापना के लिए आवेदन करने वाले प्रमुख खिलाड़ी अडानी और टाटा हैं। उन्होंने बताया कि बिजली के लिए मोबाइल की तरह एडवांस में पैसे जमा करने होंगे, खत्म होने पर आटोमेटिक तरीके से बिजली कट जाएगी। पेमेंट करने के बाद भी दोबारा कनेक्शन जोड़ने में भी उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
सुभाष लांबा
9811329365