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मयराष्ट्र कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ प्रांतीय नौचंदी मेले में


प्रांतीय नौचंदी मेला 2025 में मयराष्ट्र कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन
वीर रस की ओजस्वी कविताओं ने श्रोताओं को किया देशभक्ति से सराबोर

मेरठ, 22 जून 2025 – नगर निगम मेला नौचंदी आयोजन समिति के तत्वावधान में आज प्रांतीय नौचंदी मेला 2025 के अंतर्गत भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम को नमन करते हुए “मयराष्ट्र कवि सम्मेलन” का आयोजन पटेल मंडप, नौचंदी परिसर में अत्यंत गरिमामय वातावरण में किया गया। इस समारोह में वीर रस, देशभक्ति, सामाजिक सौहार्द एवं मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत काव्य प्रस्तुतियों ने श्रोताओं के मन में जोश, गर्व और संवेदना की लहरें पैदा कर दीं।

इस प्रेरणास्पद आयोजन के सूत्रधार रहे प्रख्यात वीर रस कवि डॉ. हरिओम पवार, जिनके ओजपूर्ण काव्य से मंच और पांडाल गर्व से भर उठा। डाआ मयंक अग्रवाल , विजेंद्र अग्रवाल, अरुण वशिष्ठ की गरिमामयी उपस्थिति रही। सुप्रसिद्ध कवयित्री कोमल रस्तोगी व तुषा शर्मा का सम्मान हुआ
मंच पर अनेक जाने-माने कवियों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई।

डा. रामगोपाल भारतीय ने पढ़ा -

“रिश्तों में वो पहली सी मुहब्बत नहीं रही,
मेहमान नवाज़ी की भी आदत नहीं रही।
लौटा दिया था एक दिन घर से फकीर को,
उस दिन से किसी चीज़ में बरकत नहीं रही।”

गीतकार सुल्तान सिंह ‘सुल्तान’ ने अपने शब्दों से परिवार और जीवन की नज़ाकत को इस तरह उकेरा:

“अपनों को मनाने में मेरी ज़िन्दगी गई।
इस घर को सजाने में मेरी ज़िन्दगी गई।।
तुमने तो कह दिया कि एक मकान ही तो है,
इस घर को बनाने में मेरी ज़िन्दगी गई।।”

नितीश राजपूत ने धर्म-सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए कहा:

“करूँ पूजा मैं मंदिर में या कह लो कि नमाज़ी हूँ,
कहो पंडित मुझे तुम या यूँ कह लो कि मैं क़ाज़ी हूँ।
मगर क्या फ़र्क़ दोनों में, खुदा जब एक है अपना,
मैं ईश्वर से भी सहमत हूँ, मैं अल्लाह से भी राज़ी हूँ।”

कवि मनोज कुमार ‘मनोज’ ने प्रेम की गहराई को कुछ यूँ अभिव्यक्त किया:

“बिना बरसे कोई बादल कभी बादल नहीं होता,
न जिसमें प्यार का कोई निशां, आँचल नहीं होता।
सजन की आँख में सजकर कभी देखा नहीं जिसने,
वो केवल रंग काला है, कभी काजल नहीं होता।”

कार्यक्रम में सबसे अधिक जोश और उत्साह तब देखने को मिला जब कवि सुमनेश सुमन ने अपनी वीर रस से परिपूर्ण पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं:

“रणभेरी बज उठी शत्रु ने, सीमा पर ललकारा है।
प्राण हीन कर देंगे उसको, यह संकल्प हमारा है।
निश्चित फिर से टुकड़ों टुकड़ों में बंटने को आया है,
भारत मां के बेटे तेरा मान मसल कर रख देंगे,
दुनिया में पाकिस्तानी पहचान बदल कर रख देंगे।”

मुक्ता शर्मा ने कहा:
काली पलटन वाला मन्दिर महादेव का डेरा है,
गंगा जमनी संस्कृतियों का पग पग यहाँ बसेरा है।
कितना गौरवशाली है इतिहास न वर्णन हो पाए,
स्वतंत्रता की अलख जगाने वाला मेरठ मेरा है।

प्रशांत दीक्षित ‘प्रशांत’ ने मातृभूमि को समर्पित अपनी कविता से मन मोह लिया:

“मेरे इस देश की माटी, मेरे माथे का चन्दन है।
खरा सोना है जो तपकर बना अनमोल कुंदन है।
कभी दुश्मन न देखे इसको अपनी टेढ़ी नज़रों से,
सवा लाख पर पड़े भारी यहाँ का एक नंदन है।।”

ओंकार गुलशन की भावनाओं से लबालब पंक्तियाँ श्रोताओं की आँखों को नम कर गईं:

“नाम वफ़ा की दुनिया में अपना कर जाएंगे,
तुम जो बिछुड़कर जाओगे तो हम मर जाएंगे।
हमको अपने कांधे पर सर रख कर रोने दे,
दामन तेरा चाँद सितारों से भर जाएंगे।”

वरिष्ठ कवि चन्द्र शेखर मयूर ने पंक्तियां पढ़ी -
त्यागकर अपनी हवेली चल दिए।
जान को रखकर हथेली चल दिए।
वीर सैनिक इस वतन के वास्ते।
छोड़कर दुल्हन नवेली चल दिए।

वरिष्ठ कवि सत्यपाल सत्यम ने कहा:

बहुत विशाल था यहूदियों का देश
ऐसा बिखरा कि बस,रह गया शेष
देश के चलाने वालों , करो आदेश
भारत में हो न जाएं कई और देश
इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, विद्यार्थियों, साहित्यप्रेमियों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही। मेला आयोजन समिति के सदस्यों और नगर निगम के अधिकारियों ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे देशप्रेम और राष्ट्रीय एकता का सशक्त मंच बताया
भाजपा महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी, निवर्तमान राज्य मंत्री सुनील भराला ,चेयरमैन कॉपरेटिव बैंक विमल शर्मा , क्रीड़ा भारती अध्यक्ष अश्वनी गुप्ता वासु कवि मनमोहन भल्ला सहित मेला समिति से नरेंद्र राष्ट्रवादी राकेश गौड़ संजय जैन नासिर सैफी आदि उपस्थित रहे

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