
संघर्ष और जज्बे की अनूठी मिसाल, सवाई माधोपुर जिले के नए जिला कलेक्टर कानाराम
सवाई माधोपुर/जयपुर। सरकार की पॉलिसी अनुरूप काम करना एवं शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक नवाचार व रचनात्मक कार्यों के जरिए शिक्षा, चिकित्सा , रोजगार सहित जनहित की हर एक योजना को सहज व सुलभ बनाने एवं ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्र में विशेषकर शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य व उद्देश्य को साथ लेकर चलने वाले तत्कालीन जिला कलेक्टर हनुमानगढ एवं सवाईमाधोपुर जिले के नए जिला कलेक्टर श्री कानाराम की जीवनी बड़ी दिलचस्प और समाज के प्रत्येक युवा ( जो आगे बढ़ना व कुछ बनकर दिखाना चाहते हैं) के लिए प्रेरणास्रोत व प्रेरणास्पद है। आपको उनके जीवन संघर्ष से जुड़े कुछ अंश में यहां आप के साथ साझा कर रहा हूं। *जब कुछ बन जाऊंगा, तब सभी के सामने आऊंगा... बाड़मेर जिले के गांव कापराउ के कानाराम मेघवाल ने संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में एससी वर्ग में राज्य में टॉप किया था। उस समय पूरे राज्य में उनकी 29वीं रैंक थी। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कानाराम की 12वीं तक पढ़ाई औसत रही है। कहते हैं कि स्कूली शिक्षा ही सब कुछ होती है और उसमें आए कम अंक हर किसी के कदम डगमगा देते हैं। हालांकि कुछ बिरले ऐसे भी होते हैं जो 10वीं या फिर 12वीं बोर्ड परीक्षा में कम अंक आने के बाद भी इतिहास रच देते हैं। ऐसे ही एक शख्स श्री कानाराम है, उनकी चर्चा उन दिनों( संघर्ष पूर्ण समय)पूरे राजस्थान में हो रही थी। दरअसल 12वीं में महज 48 फीसदी अंक मिलने के बाद अब उन्होंने संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में टॉप कर दिखाया था। यह कामयाबी बाड़मेर जिले के छोटे से गांव कापराउ के कानाराम मेघवाल ने हासिल की थी। उनको 12वीं की बोर्ड परीक्षा में महज 48 फीसदी अंक ही प्राप्त हुए थे। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कड़ी मेहनत के बलबूते असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर मंजिल को हासिल कर लिया। बाद में घोषित किए गए संस्कृत विषय के कॉलेज लेक्चरर परीक्षा परिणाम में कानाराम ने प्रदेश में एससी वर्ग में पहला स्थान भी प्राप्त किया । कानाराम का कहना है कि उन्होंने बरसों से सामजिक आयोजनों और कार्यक्रमों में जाना बंद कर दिया था। वजह थी जब कुछ बन जाऊंगा, तब सभी के सामने आऊंगा। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले कानाराम के पिता किसान हैं और वह भी खेतों में पिता का हाथ बंटाते रहें हैं. उन्होंने स्नातक राजकीय महाविद्यालय बाड़मेर से और स्नातकोत्तर संस्कृत स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में 2006 में पास की। जबकि बीएड 2007 में की पूर्ण की। उसी साल उनका थर्ड ग्रेड शिक्षक में चयन हुआ, लेकिन बीएड डिग्री न होने से उन्हें नौकरी नहीं मिली। साल 2009 से 2010 तक एक बार फिर तृतीय श्रेणी संस्कृत विभाग में इनका चयन हुआ। साल 2010 में वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत विभाग आरपीएससी टॉपर बने, लेकिन शास्त्री डिग्री नहीं होने से यह वरिष्ठता भी उन्हें नहीं मिल पाई। साल 2016 में संस्कृत व्याख्याता पद पर प्रमोशन हुआ। साल 2017 में आरपीएससी स्कूल व्याख्याता पद सीधी भर्ती से चयन बांसवाड़ा के लिए हुआ, लेकिन पहले से व्याख्याता पद पर कार्यरत होने के कारण उन्होंने बांसवाड़ा ज्वाइन नहीं किया। *फिर ऐसे किया कमाल.......
कानाराम ने अपने सफर को जारी रखा और 22 सितम्बर 2021 को कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर का एग्जाम दिया, जिसका साक्षात्कार 10 अक्टूबर 2022 को हुआ। इसका परिणाम आया तो वह एससी वर्ग में राज्य के टॉपर बन गए। जबकि पूरे राज्य में 29 वीं रैंक से चयन हुआ था । कानाराम बताते हैं कि वह नियमित रूप से 5-6 घंटे पढ़ाई जारी रखते थे, जबकि 6 बहनों के इकलौते भाई होने के कारण पिता ने उन्हें पाई-पाई जोड़कर पढ़ाया था । वह अपने पिता और परिवार की बदौलत असिस्टेंट प्रोफेसर बने ।कानाराम सीरवी, 2013 बैच के एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। वे पाली जिले के सोजत रोड के रहने वाले हैं और वर्तमान में राजस्थान में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं। उन्होंने 54वीं रैंक हासिल की थी। उनके पिता का नाम गेनाराम सीरवी है।
कानाराम की शुरुआती शिक्षा सोजत में हुई थी। उन्होंने बांगड़ कॉलेज से एमएससी की। इसके बाद उन्होंने ग्राम सेवक और फिर शिक्षक के रूप में भी काम किया।
अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करने के लिए, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जयपुर और दिल्ली में तैयारी की। आखिरकार, 2013 में, उन्होंने 54वीं रैंक के साथ आईएएस परीक्षा उत्तीर्ण की।
कानाराम को हनुमानगढ़ जिले के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में भी जाना जाता है, जहाँ उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने में अपने काम के लिए पहचान हासिल की है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के प्रशासक एवं निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बीकानेर के पद पर रचनात्मक व नवाचारी सेवाएं दी, हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर रहते खूब नाम कमाया और अब सवाई माधोपुर की बारी है............. उस सवाई माधोपुर की जो की हाल ही के दिनों में आपराधिक गतिविधियों, अपराध गिरोह, चोरी चटकारी,टिप्पर गेंग,बजरी माफिया, वन व गौचर भूमि माफिया, अतिक्रमण माफिया,दलगत राजनीति, जातीगत राजनीति, प्रशासनिक भ्रष्टतंत्र का हिस्सा ( एसीबी के अधिकारी सुरेन्द्र शर्मा के कारनामे व भ्रष्ट तंत्र के खुलासे से खुली पोल), रिश्वतखोर पुलिस गिरोह सहित जन समस्याओं के मकड़जाल में फंसा हुआ है। को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी आपकी है, तमाम राजनीतिक दबाव के बीच यहां नवाचार आपके लिए प्रथम चुनौती होगी..