
कटनी-शहडोल मार्ग पर रपटा नाला विवाद: निजी जमीन पर बनी रिटेनिंग वॉल तोड़े जाने पर सवाल*
हरिशंकर पाराशर संवाददाता
कटनी-शहडोल मार्ग पर ग्राम खिरहनी, पटवारी हल्का नंबर 41 में स्थित रपटा नाले के किनारे निजी स्वामित्व की भूमि पर निर्मित रिटेनिंग बाउंड्री वॉल को जिला प्रशासन ने जलप्रवाह बाधित होने की संभावना के आधार पर बुलडोजर से हटा दिया। यह कार्रवाई तब हुई, जब भू-अभिलेखों में भूमि का स्वामित्व निर्माणकर्ता प्रवीण बजाज के नाम दर्ज है और पटवारी की रिपोर्ट में भी कोई अतिक्रमण नहीं दर्शाया गया है। इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और स्थानीय लोगों ने इसे प्रशासन की मनमानी और ज्यादा बताया है।प्रशासन की कार्रवाई और हाईकोर्ट का रुखप्रवीण बजाज ने अपनी निजी जमीन पर रिटेनिंग वॉल, मूर्ति विसर्जन के लिए घाट, सीढ़ियां और संन्यासी बाबा की मढ़िया का सौंदर्यीकरण कराया था। यह निर्माण नाले के किनारे कटाव रोकने और सार्वजनिक उपयोग के लिए किया गया था। इसके बावजूद, जिला प्रशासन ने बिना विशेषज्ञ की ठोस रिपोर्ट और मात्र संभावना के आधार पर रिटेनिंग वॉल को तोड़ दिया। बजाज ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जहां कोर्ट ने स्थानीय राजस्व विभाग से उपचार की सलाह दी थी। लेकिन प्रशासन ने अपील का अवसर दिए बिना तत्काल बुलडोजर चलाकर कार्रवाई कर दी।पटवारी प्रतिवेदन और रिकॉर्डपटवारी की 24 जुलाई 2024 की रिपोर्ट में खसरा नंबर 442 के सभी बंटाकन प्रवीण बजाज के नाम दर्ज हैं, और कोई शासकीय जल मद का बंटाकन नहीं है। साथ ही, 1907 से यह प्राकृतिक नाला अभिलेखों में दर्ज है। तहसीलदार कटनी नगर बीके मिश्रा ने बताया कि खसरा नंबर 553/2/1, 553/3/1, 553/3/2, 553/6 (रकबा 0.660, 0.607, 0.144, 0.442 हेक्टेयर) प्रवीण बजाज के नाम हैं, लेकिन रिटेनिंग वॉल से नाले का प्राकृतिक बहाव बाधित होने की संभावना के आधार पर कार्रवाई की गई।लोकहित कार्य पर सवालप्रवीण बजाज ने प्रशासन के मौखिक आदेश पर अपने संसाधनों से नाले का गहरीकरण कराया और रिटेनिंग वॉल बनाकर कटाव से जमीन की सुरक्षा की। साथ ही, उन्होंने घाट, सीढ़ियां और मढ़िया का निर्माण कराकर क्षेत्र को सुंदर और उपयोगी बनाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह लोकहित में किया गया कार्य था। भीड़ ने सवाल उठाया कि यदि रिटेनिंग वॉल जलप्रवाह बाधित कर रही थी, तो उसी घाट की सीढ़ियां क्यों नहीं तोड़ी गईं, जो अभी भी मौजूद हैं? उनका कहना है कि आधा-अधूरा न्याय अन्याय के समान है।राजनीतिक दबाव की चर्चास्थानीय चर्चाओं में इस कार्रवाई के पीछे दूषित राजनीतिक प्रभाव को जिम्मेदार माना जा रहा है। लोगों का मानना है कि विकास और सौंदर्यीकरण के कार्य को कुछ लोग पसंद नहीं कर रहे, जिसके चलते प्रशासन पर दबाव बनाकर यह कार्रवाई की गई।प्रवीण बजाज का पक्षप्रवीण बजाज ने कहा कि निर्माण उनकी निजी जमीन पर किया गया, और नाले के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हुआ। उन्होंने प्रशासन के आदेश पर डेढ़ माह तक नाले का गहरीकरण किया, जिससे जलप्रवाह व्यवस्थित हुआ। रिटेनिंग वॉल घाट की सीढ़ियों की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग विकास कार्य को बाधित करने के लिए प्रशासन को भ्रमित कर रहे हैं।प्रशासन की स्थितिप्रशासन का कहना है कि रिटेनिंग वॉल से नाले का प्राकृतिक जलप्रवाह बाधित हो रहा था, जिसके चलते कार्रवाई की गई। हालांकि, एनजीटी ने इस प्राकृतिक नाले पर कोई कार्रवाई का आदेश नहीं दिया था।निष्कर्षयह मामला प्रशासनिक कार्रवाई की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। बिना ठोस सबूत और अपील का अवसर दिए निजी संपत्ति पर बुलडोजर चलाना क्या उचित था? स्थानीय लोगों का आक्रोश और प्रवीण बजाज की कानूनी लड़ाई इस विवाद को और गहरा रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में पारदर्शी जांच करे और सभी पक्षों को सुनने के बाद ही अंतिम निर्णय ले।स्रोत: स्थानीय जानकारी, पटवारी प्रतिवेदन, और प्रशासनिक बयान।