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इमरजेंसी के 50 साल: एस जयशंकर बोले- हमें लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखना है

देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे हो गए हैं और इस दिन को भाजपा ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने बयान दिया। उन्होंने इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया। एस. जयशंकर ने इमरजेंसी के 50 साल होने पर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने इमरजेंसी के नाम पर संविधान की हत्या का आरोप लगाया और कहा कि यह भारत के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय था।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “संविधान हत्या दिवस पर हम स्वतंत्र भारत के इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय को याद करते हैं, जब संस्थाओं को कमजोर किया गया, अधिकारों को निलंबित कर दिया गया और जवाबदेही को दरकिनार कर दिया गया। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है कि हमें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करनी है और भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को बनाए रखना है।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, “आज से पचास साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद रखते हैं। संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से देश पर आपातकाल थोपा गया वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बहुत बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं बची थी जिसका ग़लत इस्तेमाल न किया गया हो। मगर इस देश में जो लोकतांत्रिक परम्पराएं रही हैं उनको चाह कर भी तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पायी।

उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने भी संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएँ सहीं, उन सभी का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की आने वाली पीढ़ियाँ उनका योगदान कभी भुला नहीं सकतीं।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि ‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है। उन्होंने कहा कि आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्रविरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, न्यायपालिका के हाथ बाँध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया।

इसके अलावा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इमरजेंसी के दौर को याद किया और गांधी परिवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “25 जून 1975 को देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल लगाया था, जो लोकतंत्र का उल्लंघन था। भारतीय जनता पार्टी इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाती है।” उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी महाराष्ट्र चुनाव को लेकर जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, उनके बयानों को कोई भी व्यक्ति गंभीरता से नहीं लेता है। वह देश की एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता हैं, लेकिन उनके बोलने का कोई वजन नहीं है।”

भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर कहा, “आज से ठीक 50 साल पहले विपक्ष की आवाज को कुचल दिया गया, अभिव्यक्ति की आजादी को सेंसरशिप की जंजीरों में जकड़ दिया गया और देशवासियों के अधिकार छीन लिए गए व लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। सिर्फ सत्ता की खातिर 25 जून, 1975 को देश पर इमरजेंसी थोपी गई।” (इनपुट-आईएएनएस)

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