logo

यूपी में बढे़गी दुग्ध उत्पादकों की आय; योगी सरकार ने किया ये अहम समझौता, सूबे के 3 डेयरी प्लांट से होगा बड़ा फायदा - NATIONAL DAIRY DEVELOPMENT BOARD

लखनऊ : सरकार ने पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है.

बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन के तीन डेयरी प्लांट कानपुर, गोरखपुर, कन्नौज और अंबेडकरनगर में बनी एक पशु आहार फैक्ट्री के संचालन का जिम्मा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) को दिया गया.

एनडीडीबी के संचालन में इन इकाइयों में तकनीकी सुधार, पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन होगा. इससे प्रदेश के दूध उत्पादकों को समय पर भुगतान, अच्छा दाम और लगातार बाजार मिलने की सुविधा मिलेगी.

कार्यक्रम में उपस्थित एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह ने नोएडा में संपन्न वर्ल्ड डेयरी समिट, 2022 के आयोजन में मुख्यमंत्री की ओर से प्राप्त सहयोग के प्रति आभार जताया और उत्तर प्रदेश में एनडीडीबी द्वारा संचालित विभिन्न दुग्ध विकास परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया.

उन्होंने विश्वास दिलाया कि उत्तर प्रदेश के जिन तीन डेयरी प्लांट और एक पशु आहार निर्माणशाला के संचालन की जिम्मेदारी एनडीडीबी को सौंपी गई है, वह आने वाले वर्षों में प्रदेश के सबसे लाभकारी और मॉडल इकाइयों के रूप में स्थापित होंगे.


उत्पादन में बहुत अच्छा काम कर रहीं महिलाएं : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं को नई पहचान मिल रही है.

उन्होंने झांसी की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी, आगरा और गोरखपुर जैसे जिलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जगहों पर महिलाएं दूध उत्पादन में बहुत अच्छा काम कर रही हैं.

उन्होंने इस काम में मदद के लिए एनडीडीबी (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) की तारीफ भी की.

मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले की सरकारों ने खेती और पशुपालन की ओर ध्यान नहीं दिया. इस कारण यह क्षेत्र पिछड़ गया और पशुपालक भी निराश हो गए. इससे प्रदेश में पशुओं की संख्या भी कम होने लगी.

उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में न तो इच्छाशक्ति थी और न ही आगे की सोच.

लेकिन 2014 के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार आई, तो खेती और पशुपालन के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए.

अब यह क्षेत्र युवाओं के लिए भी आकर्षक बन गया है और रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं.

दूध उत्पादन का क्षेत्र बढ़ेगा आगे : मुख्यमंत्री ने पीसीडीएफ (प्रदेश की दुग्ध संस्था) से कहा कि वह एनडीडीबी की अच्छी योजनाओं को अपनाएं.

इससे दूध उत्पादन का क्षेत्र और आगे बढ़ेगा और इससे जुड़े लोगों को फायदा होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने, पशुधन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है.

उन्होंने कहा कि एनडीडीबी जैसे दक्ष एवं अनुभवी संस्थान को संचालन सौंपे जाने से इन इकाइयों में तकनीकी कुशलता, व्यावसायिक पारदर्शिता और किसानों को प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित होगा.

वैश्विक डेयरी मानचित्र पर भी फोकस : मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश की पशुधन संपदा और दुग्ध उत्पादन की विशाल क्षमता को यदि नियोजित और वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जाए,

तो उत्तर प्रदेश न केवल देश का अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्य बन सकता है, बल्कि वैश्विक डेयरी मानचित्र पर भी अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकता है. एनडीडीबी के साथ यह एमओयू उसी दिशा में एक ठोस, दूरदर्शी और व्यावहारिक कदम है.

प्रमुख सचिव दुग्ध विकास विभाग ने बताया कि कानपुर स्थित डेयरी प्लांट ₹160.84 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है, जिसकी प्रोसेसिंग क्षमता 4 लाख लीटर प्रतिदिन है.
इसी प्रकार, गोरखपुर डेयरी प्लांट ₹61.80 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है, जो प्रतिदिन 1 लाख लीटर दूध प्रसंस्करण की क्षमता रखता है.
कन्नौज प्लांट ₹88.05 करोड़ की लागत से स्थापित हुआ है, जिसकी क्षमता भी 1 लाख लीटर प्रतिदिन है.


इन तीनों प्लांटों का निर्माण पूर्ण होने के बावजूद वाणिज्यिक बायर्स के अभाव तथा परिचालन लागत की चुनौतियों के कारण पूर्व में संचालन में बड़ी बाधाएं उत्पन्न हुई थीं.

अब इनका संचालन एनडीडीबी के माध्यम से किए जाने से यह इकाइयां पुनः पूर्ण क्षमता से कार्य करने लगेंगी.


अम्बेडकरनगर स्थित केंद्र पशु आहार निर्माणशाला भी इस समझौते के अंतर्गत एनडीडीबी को हस्तांतरित की जाएगी.


18.44 करोड़ की लागत से निर्मित यह इकाई 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन बायपैक प्रोटीन फीड का उत्पादन कर रही है, जिससे प्रदेश के पशुपालकों को संतुलित एवं सुलभ आहार उपलब्ध हो रहा है.


चालू वित्तीय वर्ष में इस इकाई से ₹66.88 लाख का लाभ अर्जित होने की संभावना है.
उत्पादों की गुणवत्ता तथा उपलब्धता में भी सुधार : NDDB को इन इकाइयों के संचालन सौंपे जाने से इनमें किसानों को समयबद्ध भुगतान, स्थानीय सहकारी समितियों की भागीदारी, संसाधनों का योजनाबद्ध उपयोग, उपकरणों की सुरक्षा तथा अनावश्यक व्यय में कटौती जैसे महत्वपूर्ण लाभ सुनिश्चित होंगे.

इसके अतिरिक्त, युवाओं के लिए नए रोजगार सृजित होंगे और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता तथा उपलब्धता में भी सुधार आएगा. उल्लेखनीय है कि इस मॉडल के अंतर्गत राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और राजस्व साझेदारी का लाभ भी राज्य एवं किसानों को समान रूप से मिलेगा.

0
0 views