कोई ऐसा जो खून के रिश्तों से भी बढ़कर,
रिश्ता निभाना जानता हो...!
कितनी बातें होती हैं जो,
किसी से कह नहीं पाते,
सोचते हैं कि बता दें किसी को मगर,
फिर मन कहता है छोड़ो उससे भी क्या होगा,
ढूंढती हैं निगाहे कोई ऐसा शख्स,
जो बिना बोले ही पढ़ ले मुझे,
और कहे कि बताओ क्या छिपा रहे हो,
जो पढ़ ले मेरी आंखो की नमी को,
और सुन ले मेरे होंठो की खामोशी को,
जो मेरी बात सुनकर,किसी और से न कहे,
जो कह दे कि हर मुश्किल में साथ हूं तेरे,
जो मुझे सुनकर समझने की कोशिश करे,
वो जो डगमगाते कदम थाम ले मेरे,
वो जिसे गलत को गलत कहना आता हो,
और जिसे सही का साथ देना आता हो,
जो लोगो की बातों से मुझे जज न करे,
जो मेरे कुछ कहने से पहले ही कह दे ,
यार तुझपर भरोसा है मुझे....
कोई ऐसा ही चाहिए आजकल लोगो को,
इस भागती दौड़ती जिंदगी में,
कोई ऐसा जो मतलबी न हो ,
कोई ऐसा जो खून के रिश्तों से भी बढ़कर,
रिश्ता निभाना जानता हो...!