
भारतीय युवा क्यों कर रहे हैं विवाह से परहेज?
आज के बदलते भारत में युवाओं के विचार, प्राथमिकताएँ और जीवनशैली में व्यापक बदलाव आया है। जिस विवाह को कभी एक सामाजिक अनिवार्यता समझा जाता था, वह आज एक व्यक्तिगत विकल्प बन चुका है। इस बदलाव के पीछे सामाजिक, आर्थिक, व्यक्तिगत और मानसिक कारण मौजूद हैं।
आर्थिक स्वतंत्रता और करियर प्राथमिकता
आज के युवा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं और उनका मुख्य ध्यान अपने करियर और भविष्य पर है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के एक आँकड़े के अनुसार, भारत में 25-35 आयु वर्ग के लगभग 28% युवा विवाह नहीं करते क्योंकि वे करियर में स्थिरता चाहते हैं।
उदाहरण:सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंजलि कहती हैं, “मैं तब तक विवाह नहीं करना चाहती जब तक मेरी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो जाती। एक अच्छे भविष्य के लिए करियर में ग्रोथ मेरी प्राथमिकता है।”
व्यक्तिगत आज़ादी और बदलती सोच
युवा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्व देने लगे हैं। वे अपनी पसंद से जीना चाहते हैं, अपनी रुचियों पर काम करना चाहते हैं और पारंपरिक बंधनों से दूर रहना पसंद करते हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ. रश्मि शर्मा के अनुसार, “युवाओं में व्यक्तिगत आज़ादी की भावना तेज़ी से बढ़ी है, जिससे वे सामाजिक परंपराओं पर सवाल करने लगे हैं।”
रिश्तों में बदलती प्राथमिकताएँ
युवा समझदारी, दोस्ती और पारस्परिक सम्मान आधारित रिश्ते चाहते हैं। अरेंज मैरिज में मिलने वाली सामाजिक अपेक्षाएँ उन्हें बाधा लगती हैं।
हाल ही में एक सर्वेक्षण में, 64% युवाओं ने कहा कि वे “अरेंज मैरिज की बजाय रिश्ते को जानना-समझना चाहते हैं।”
तनाव और ज़िम्मेदारियों से डर
अध्ययन, नौकरी, निजी लक्ष्यों और अन्य जिम्मेदारियों के बीच विवाह एक अतिरिक्त जिम्मेदारी लगती है।
मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ डॉ. रितु अग्रवाल के अनुसार, “युवा मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को बेहतर समझते हैं, और विवाह से उत्पन्न तनाव उनके लिए एक चिंता का विषय है।”
समाज में बदलाव और सामाजिक दबाव में कमी
सोशल मीडिया, वैश्वीकरण और बदलती सामाजिक सोच ने विवाह के पुराने मानदंडों को तोड़ दिया है। परिवार के दबाव में विवाह करने वाले युवाओं की संख्या में गिरावट आई है।
उदाहरण के लिए, मेट्रो शहरों में रहने वाले युवाओं पर ग्रामीण इलाकों के मुकाबले सामाजिक दबाव कम है।
भविष्य की योजनाएँ
बहुत से युवा तब विवाह करने का विचार करते हैं जब वे आर्थिक रूप से सुरक्षित हों, ताकि परिवार का भविष्य बेहतर हो सके।
एक अध्ययन (2022) में बताया गया कि “युवा विवाह से पहले घर, गाड़ी, निवेश जैसी चीजें अर्जित करने पर जोर दे रहे हैं।”
निष्कर्ष
वर्तमान भारतीय युवा विवाह को अपनी प्राथमिकताओं में नीचे रख रहे हैं क्योंकि वे व्यक्तिगत विकास, आर्थिक स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक बदलाव और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। बदलती सोच के इस दौर में विवाह अब एक सामाजिक बाध्यता नहीं, बल्कि एक सोच-समझ कर लिया गया व्यक्तिगत निर्णय है।