
तिकोने प्यार का, ऐसा बना सबब।
पंखे से लटके दो दो शव।।
होशियारपुर: 26 जून,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर) कहते हैं सच्चा प्यार रब दी इबादत है जिससे रब खुश होता है, उसके नियमोंनुसार प्यार करना गुनाह नहीं है। पर यह समझना अत्यंत जरूरी है कि प्यार जैसी इबादत जीवन के कौनसे पड़ाव में और किन परिस्थितियों की जा रही है क्योंकि इन सबका अच्छा बुरा असर पड़ना निश्चित होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब यही प्यार गलत दिशा से, गलत समय पर, गलत इंसानों से हो जाए तो होने वाले भयंकर नतीजे जिंदगियों को ही निगल जाते हैं।
ऐसी ही एक ताज़ा घटना कस्बा डबवाली में बे पर्दा हुई है। अमृतपाल कौर पुत्री माता राजविंदर कौर, पिता रणजीत सिंह का शुभ विवाह बठिंडा के वासिंदा यादविंदर सिंह के साथ कुछ महीने पहले ही हुआ था। यादविंदर अपने वैवाहिक रिश्ते प्रति ईमानदार नहीं था। वैवाहिक जीवन इंसान के जीवन का एक खास पहलू होता है उसे संयम और जिम्मेदारी से निभाना पड़ता है इस बात से वह अबोध था। उसने शादी शुदा होने के बावजूद भी अपने पुराने अफेयर की तिलांजलि नहीं दी। अपनी नई नवेली पत्नि को बनता मान सम्मान वा प्यार ना दे सका, नतीजतन वैवाहिक सुख शान्ति भंग हो गई और आपसी मनमुटाव बढ़ गया, जिसके चलते बीते रविवार 22 जून को अपनी पत्नि को उसके मायके डबवाली छोड़ दिया। अगले दिन अपने ससुर रणजीत सिंह को बठिंडा चौक डबवाली बुलाकर तलाक के कागजात थमाते हुए कहा मुझे अमृतपाल कौर के साथ नहीं रहना और मुझे तलाक पर साइन चाहिए। यह सुनकर एक बाप के दिल पर क्या गुजरी होगी आप सब जानते हो। उसके पांव तले जैसे जमीन खिसक गई। एक दम सुन्न हो गया, दिल मजबूत ना होता तो शायद हार्टअटैक आ जाता। जैसे तैसे घर पहुंचा अपनी पत्नि राजविंदर कौर को पूरी दास्तां से अवगत करवाया तो वही दर्द उसे भी झंझोड गया, यकीन ही नहीं हो रहा था कि अभी चंद दिन ही तो हुए हैं शादी को ऐसा कैसे हो सकता है। यही सोच उसके दिलो दिमाग में छा गई। धीरे धीरे बेटी अमृतपाल को भी इस सदमे का पता चल गया। अंदर ही अंदर वो भी घुट रही थी कई तरह के विचारों ने उसे भी घेर रखा था। घर में मातम छाया हुआ था। राजविंदर कौर इस सदमे को बर्दाश्त ना कर सकी और 25 जून की सुबह पंखे से लटक कर जान दे दी। रणजीत सिंह उस वक्त घर पर नहीं था उसे क्या पता था कि उसे और भी भयंकर पीड़ा सहन करनी पड़ेगी। जब बेटी अमृतपाल कौर ने अपनी माता राजविंदर कौर को पंखे से झूलते हुए देखा तो होश उड़ा देने वाली परस्थिति में पहुंच गई, अपने को थोड़ा सा संभालती हुई उसने पहले तो मृतक माता की फ़ोटो खींचकर अपने पति यादविंदर को भेज दी फिर हिम्मत जुटाते हुऐ माता का शव नीचे उतारा। इस घटना ने उसकी सोच समझ को सुन्न कर दिया था। निराशा भरी जिंदगी में बुरे बुरे ख्यालों से मानों लड़ते लड़ते थक गई हो। आखिर उसने भी अपनी जन्म दाती माता की राह को अपनाना ही बेहतर समझा और कुछ ही क्षणों में वो भी उसी पंखे से झूल गई।
उधर मृतक अमृतपाल के पति यादविंदर ने अपनी सास की लटकी हुई तस्वीर अपने ससुर रणजीत सिंह को भेजदी। वो बेचारा भागा भागा घर पहुंचा, घटना वाला कमरा बंद था, खिड़की के शीशे तोड़ अन्दर गया तो अन्दर का नजारा देख गमगीन हो गया। शोर हुआ पुलिस आई और रणजीत सिंह के बयानों को आधार बनाकर मौत के लिए उकसाने वाले यादविंदर सिंह के खिलाफ़ प्रशाशनीय कारवाई शुरू हो गई। रणजीत सिंह का हंसता खेलता परिवार उजड़ गया।