
बिहार में चुनावी मौसम और वादों का दौर ।
बिहार में चुनाव का दौर शुरू हो गया है, और पार्टी प्रमुखों का दौरा भी शुरू हो गया है। आने वाले कुछ महीनों में, बिहार की सड़कों पर शिलापट लगने शुरू हो जाएंगे, जो विभिन्न पार्टियों के नेताओं के नाम और चेहरे को प्रदर्शित करेंगे। लेकिन क्या यह सब कुछ बिहार के विकास के लिए किया जा रहा है, या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक तमाशा है?
बिहार एक ऐसा राज्य है जो हमेशा से ही विकास की दौड़ में पीछे रहा है। आज भी यहां की ग्रामीण सड़कें टूटी हुई हैं, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, और उच्य शिक्षा की स्थिति भी बहुत खराब है। लेकिन जब चुनाव का समय आता है, तो सभी पार्टियों के नेता बिहार के विकास के बारे में बड़े-बड़े वादे करने लगते हैं। बिहार आज भी केंद्र के सहयोग से ही अपने खर्च पूरी कर पाता हैं , उद्योग धंधे भी आज तक स्थापित नहीं हो सके हैं , बिहारी श्रम शक्ति आज भी दूसरे राज्य में काम करने को मजबूर हैं ।
लेकिन क्या ये वादे पूरे होते हैं? क्या बिहार की स्थिति में कोई सुधार होता है? इसका जवाब न है। बिहार की स्थिति आज भी वही है, जो कई साल पहले थी। यहां के लोगों को अभी भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
इसलिए, जब चुनाव का समय आता है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें किस तरह के नेताओं का चयन करना है। हमें उन नेताओं को चुनना चाहिए जो बिहार के विकास के लिए गंभीर हों, न कि उन नेताओं को जो सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए चुनाव लड़ते हैं।
मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT