भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
ओडिशा में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा ****************************ओडिशा के पुरी में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है। जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्धितीया तिथि से शुरू की जाती है। इस रथयात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का श्रृंगार करके भव्य रथों में बैठाकर उनकी रथयात्रा निकाली जाती है। 2025 में यह रथयात्रा 26 से 27 जून तक चलेगी। भगवान जगन्नाथ के भक्त इस अद्भुत रथयात्रा में शामिल होने के लिए हर साल यहां आते हैं।भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद जरूर खीचें रथ================================भगवान जगन्नाथ के रथ को भक्तों द्वारा खींचने की परंपरा बहुत पुरानी है। भक्त दर्शन करने के बाद बारी-बारी से भगवान जगन्नाथ का रथ खींचते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं देखा जाता। कोई भी भक्त अपनी श्रद्धाभाव से भगवान जगन्नाथ का रथ खींच सकते हैं। जगन्नाथ मंदिर से तीनों रथों को खींचकर भक्त 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर लेकर जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला व्यक्ति जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। हर किसी को 13 कदम ही रथ खींचने की अनुमति होती है।जगन्नाथ मंदिर जाएं तो प्रसाद जरूर खाएं==========================जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद भी बहुत निराला है। जगन्नाथ मंदिर की रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है। करीब 500 रसोइए और 300 सहयोगी मिलकर प्रसाद बनाते हैं। प्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तनों को लाइन से एक के ऊपर एक रखा जाता है और नीचे एक ही लकड़ी लगाकर सातों बर्तनों का खाना एक ही आंच में बना दिया जाता है। इसमें सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना सबसे पहले पकता है। धार्मिक मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद खाने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।नीलचक्र और ध्वज के दर्शन जरूर करें============================जगन्नाथ पुरी में आपको हर मंदिर के ऊपर सुदर्शन चक्र बने ध्वज के दर्शन जरूर करें। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आप यहां लगे ध्वज को जिस तरफ से भी देखेंगे, आपको सुदर्शन चक्र बिल्कुल बीच में ही नजर आएगा। इसके अलावा मंदिर के शीर्ष पर लगे नीलचक्र के दर्शन भी जरूर करें।