
महाराष्ट्र मे पैठण से पंढरपूर पालखी महामार्ग के बजे बारा
महाराष्ट्र एक सांस्कृतिक धरोहर है l महाराष्ट्र संतो की जन्मभूमी है ।महाराष्ट्र के हर कोने कोने मे संत ने जनम लिया और समाज के लिए अपनी जिंदगी न्यौछावर कर दी| इस संतों का कार्य देखकर भारत सरकारने तीर्थ क्षेत्रऔर सनातन की पुरातन वास्तू एवं क्षेत्र की हिफाजत करणे के लिए और आवा -जाही के लिए, भक्तों के आने जाने का प्रबंध करने के लिए रास्तों का विकास करवाया ।
यही उपक्रम मे महाराष्ट्र के संभाजीनगर जिले मे स्थित पैठण से पंढरपूर सोलापूर जिले तक शांती ब्रह्म संत एकनाथ महाराज पुरातन काल मे पैदल यात्रा करते थे ।संत एकनाथ महाराज के बाद में भी संतो की कमी नही थी । संत एकनाथ महाराज की शिष्योने एकनाथ महाराज की पादुकाये बनवाई और अपने मस्तकपर लेकर पैठण से पंढरपूर तक पैदलही जाते थे । आगे कई वर्षों बाद उनके भक्तो ने उनकी पालखी बनवाई । वही परंपरा आजही चल रही है । इस भक्तों की परंपरा मे प्रातः स्मरणीय संत नाना बाबा दिघोलकर ये भी संत एकनाथ महाराज के भक्त थे । पैठण से लेकर पंढरपूर तक उस काल मे पैदल पादुकाए मस्तक पर लेकर जाते थे ।
उसी कारण आज भारत सरकारने सुविधाये बनाई है ।महामार्ग का विकास किया है । लेकिन शासन के कर्तव्य- कानून - नियमसंहिता का अनुपालन न करने वाले गुत्तेदार और ठेकेदारो ने इस महामार्गोका बोज उडादिया है ।
शासन निर्णयानुसार पैठण- पंढरपूर महामार्ग घोषित कर दिया ।महामार्ग का नंबर 752 -ई मार्ग है । 2017 मे महामार्ग को राष्ट्रीय महामार्ग दर्जा मिला ।और सार्वजनिक बांधकाम विभागणे रस्ता राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिया ।2025 मे भी यह महामार्ग अभी अपूर्ण है ।और जो पूर्ण हुआ, वो भी उत्तम गुणवत्ता का नही है। जहा कहा उसे दरार पड गयी है ।तुटा फुटा अवस्था मे है ।अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल न करने के कारण महामार्ग होकर भी ओबड खाबड अवस्था मे तैयार हो गया है ।इस पर कभी तो वाहन स्थिरता से चलता ही नही ।सात साल होने के बाद भी ये काम अपूर्ण है । इस्टिमेट के अनुसार मटेरियल की इस्तेमाल किया ही नही । जहा तहा खाली सिमेंट काँक्रीट डालकर ही रस्ता बनाया।उसमे उपयोग किये जाने वाला स्टील कई कई जगह बिलकुल इस्तेमाल नही किया गया। बजेट इस्टिमेट मे रास्तेको सरलीकरण प्रविधान है । रास्ता कही भी सरल किया नही। तेढा- मेढा रस्ता जैसा था ।वैसाही रख कर काम निफ्टाने की कोशिश की है ।
यही महामार्ग का बजेट 705 कोटी रुपये का है ।लेकिन अधिकारी और ठेकेदारों की मनमानी और हलगर्जी मनोवृत्ती के कारण इस महामार्ग का सर्वनाश सत्यनाश हो गया । जहा कहा महामार्ग मे दरार पड़ के फूट गया है। माननीय नितीन गडकरी जी आप भारत सरकार के सडक परिवहन और राजमार्ग के चालीसावे मंत्री है । महामहीन जरा देखिये ऐसा न हो, समाज मे आपकी प्रतिमा इस काम के कारण मलिन हो जाये। आप रास्ता परिवहन राजमार्ग के बारेमेजानकारी न लेते,तो इस महामार्ग की भी आपजानकारी लिजिए । जायजा लिजीये । की यही महामार्ग की गुणवत्ता क्या है? वो कैसा बना है ?खुद देखीये इसका न जाने परिणाम आपकोभुगतना ना पडे । जरूरही पडेगा । आनेवाले काल मेआपको लोगों के सवालों को जवाब निश्चित देना पडेगा ।