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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर भाजपा ने आयोजित की मंडल स्तरीय गोष्ठियाँ, ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान भी रहा चर्चा में

अंबेडकरनगर। भाजपा के पितृपुरुष एवं जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर जनपद अंबेडकरनगर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा मंडल स्तर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह आयोजन भाजपा जिलाध्यक्ष त्रयंबक तिवारी के निर्देशन और जिला उपाध्यक्ष डॉ. रजनीश सिंह के संयोजन में संपन्न हुआ। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की कड़ी में यह आयोजन स्मृति दिवस पखवाड़ा के अंतर्गत 6 जुलाई को आयोजित किया गया।

नगर मण्डल, अकबरपुर में आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधान परिषद सदस्य डॉ. हरिओम पाण्डेय ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा, "डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उनका नारा – 'एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे' – आज भी हमारी प्रेरणा है।"

उन्होंने बताया कि डॉ. मुखर्जी मात्र 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने और 1947 में नेहरू मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री रहे। लेकिन जब 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते के तहत पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के बावजूद भारत सरकार मौन रही, तब उन्होंने अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। कश्मीर में बिना परमिट प्रवेश करने पर 1953 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 23 जून को संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

भाजपा जिला मीडिया प्रभारी बाल्मीकि उपाध्याय ने बताया कि जिला भर के मंडलों में रविवार को आयोजित इन गोष्ठियों में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं एवं पदाधिकारियों ने भाग लिया। गोष्ठियों में पूर्व सांसद रितेश पाण्डेय, विधायक धर्मराज निषाद, जिला पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर वर्मा, पूर्व विधायक जय राम विमल, पूर्व जिलाध्यक्ष कपिल देव वर्मा, डॉ. राणा रणधीर सिंह, अमरेंद्र कांत सिंह, रमेश चंद्र गुप्ता, संजय सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं कार्यकर्ताओं ने डॉ. मुखर्जी के विचारों और बलिदान पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान की भी सराहना की गई, जिसे पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व सम्मान का प्रतीक बताया गया।

कार्यक्रमों ने न केवल डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवादी विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया, बल्कि संगठन की जमीनी पकड़ और वैचारिक मजबूती को भी प्रदर्शित किया।







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