logo

10वी मुहर्रम में निकला ताजियों का जुलूस

बस्ती। हजरत इमाम हुसैन की कर्बला में शहादत की याद में मंगलवार को 10वी मुहर्रम का जलूस पारंपरिक रीति रिवाज के मुताबिक बड़ी अकीदत के साथ निकाला गया। कड़ी चौकसी के बीच शहर व कस्बाई एरिया के ताजिया निकट के कर्बला में पहुंचा। जहां कौम की शान में जान न्योछावर करने की याद में अकीदतमंदों ने अकीदत के फूल सुपुर्दे खाक किया। देर रात तक जिले के अलग-अलग थानाक्षेत्रों में बैठाई गई ताजिया निकट के कर्बला में दफन किये गए । पुरानी बस्ती में घरसोहिया से रेलवे स्टेशन भठियार टोला, करुआ बाबा चौराहा, पठान टोला, राजा मैदान, किर्लोस्कर गली, मंगल बाजार, दक्षिण दरवाजा होते हुए अस्पताल चौराहे के कर्बला पहुंचा। सभी ताजियादारो ने बड़ी अक़िदत के साथ अपनी-अपनी ताजिया को सुपुर्दे खाक किया एहतियातन भारी संख्या में फोर्स लगाकर अधिकारियों ने खुद कमान संभाले रखा, जिससे प्रशासन आयोजन को साकुशल संपन्न कराने में कामयाब रहा। मोहर्रम की फजीलत बयान करते हुए मुसर्रत मसूदी ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने घर बार के साथ मदीना को छोड़कर कूफा के लिए रवाना हो गए । कूफा में उन्हें यजिदियो ने उन्हें काफी परेशान किया लेकिन यजीद ने पैगंबर मोहम्मद सल्ला0 के नवासे इमाम हुसैन को अपने मुताबिक चलने को कहा और खुद को उनके खलीफे के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया. लेकिन हुसैन को ये बिल्कुल मंजूर नहीं किया। जिसके कारण यजीद ने उन पर जुल्म व शितम करने लगा। और ईमाम हुसैन ने अपने नाना जान की दीन और नमुसे रेसालत की खातिर अपना तन मन धन सब कुछ कुर्बान कर दिया ।ईमाम हुसैन ने यजीद की किसी बात को नही माना इसके बाद यजीदी ने ईमाम हुसैन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया और उन पर जुल्मो शितम करने लगा जंग के दौरान मुहर्रम की 10 तारीख को यजीद की फौज ने इमाम हुसैन और उनके साथियों का बड़ी बेरहमी से शहीद कर दिया। लेकिन ईमाम हुसैन ने सब्र किया और ये दुनिया को पैगाम दिया की इन्सानो को कभी भी अपने जमीर व गैरत का शौदा नहीं करना चाहिए । मुहर्रम में लोगों ईमाम हुसैन की नामे नामी पर लोग कुरानखानी करतेहै,खिचड़ा बनवाते है, शबीले लगाते है रोजे रखते है ये इमामे हुसैन रजि0 का सदका है ये सब उनकी कुर्बानी के सदके तुफैल हो रहा है उन्होंने कहाँ की की इमामे हुसैन के कर्बला में अपना सब कुछ कुर्बान नही किया होता तो हमे जीने का तरीका नही होता,सब्र करने का तरीका नही होता और ईमाम हुसैन की याद को कायनात भूल नही सकती।
रिपोर्ट शहज़ाद आलम

54
21402 views
  
1 shares