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**हिमाचल प्रदेश में NIPER और HDPL की आवश्यकता**

## **"।। वैद्य नारायणो भवति ।।"**

**(जो रोगों का निवारण करता है, वही ईश्वरतुल्य होता है)**

### **आधुनिक वैद्य – नया फार्मासिस्ट**

आज के दौर में एक **पंजीकृत फार्मासिस्ट** केवल दवाइयाँ देने वाला नहीं, बल्कि एक **आधुनिक वैद्य** है — जो **एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, हर्बल चिकित्सा**, और साथ ही **वैक्सीन, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो-मेडिसिन, और नवीन औषधि अनुसंधान** जैसी उन्नत चिकित्सा पद्धतियों का विशेषज्ञ है।
इसलिए कहा जा सकता है:
**"जहाँ औषधि है, वहाँ फार्मासिस्ट अवश्य होना चाहिए – क्योंकि वह ही औषधि और आरोग्य का संरक्षक है।"**

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## **हिमाचल प्रदेश में NIPER और HDPL की आवश्यकता**

### 1. **राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (S-NIPER) – शिमला ग्रामीण / सिरमौर में स्थापना**

* हिमाचल प्रदेश में **फार्मास्युटिकल और हर्बल उद्योग** के तेज़ी से विकास के कारण, अब अधिक प्रशिक्षित पेशेवरों और अनुसंधान की ज़रूरत है।
* **S-NIPER का एक नया परिसर** हिमाचल के **शिमला ग्रामीण** या **सिरमौर** में स्थापित किया जाना चाहिए, क्योंकि:

* यहाँ **हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU)**, **न्यायिक अकादमी**, और **संस्कृत शोध संस्थान** जैसी संस्थाएँ पहले से मौजूद हैं।
* यह क्षेत्र **आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा** के अंतःविषयी अध्ययन और नवाचार के लिए उपयुक्त है।
* NIPER **हर्बल दवाओं के मानकीकरण**, **ग्लोबल रिसर्च**, और **उच्च स्तरीय शिक्षा** को प्रोत्साहन देगा।

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### 2. **हिमाचल ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (HDPL) – बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (BBN), जिला सोलन में पुनर्जीवन**

* **BBN क्षेत्र पहले से ही एशिया का सबसे बड़ा दवा उत्पादन केंद्र है**, लेकिन इसमें **सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी** और **स्थानीय रोज़गार** की संभावनाएँ अभी भी सीमित हैं।
* HDPL को पुनर्जीवित कर एक प्रमुख **पब्लिक सेक्टर यूनिट** के रूप में विकसित किया जा सकता है:

* **जन औषधि मिशन (सस्ती दवा सबके लिए)** को मजबूती देने हेतु।
* **2010 और उससे पहले पास हुए पंजीकृत फार्मासिस्ट्स**, जो अब भी रोजगार की प्रतीक्षा में हैं, उन्हें **स्वास्थ्य क्षेत्र में अवसर** देने हेतु।
* **गुणवत्ता युक्त जेनेरिक और विशेष दवाओं का निर्माण व वितरण**, तथा **नैतिक फार्मा प्रैक्टिस** सुनिश्चित करने हेतु।
* यह इकाई निजी कंपनियों के लिए **मानक निर्धारण केंद्र** बन सकती है।

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## **हिमाचल प्रदेश – एक हर्बल मेडिसिन पावरहाउस**

### **औषधीय पौधों की खेती**

* हिमाचल की जलवायु और जैव विविधता औषधीय पौधों जैसे **अश्वगंधा, ब्राह्मी, तुलसी, शतावरी** आदि की खेती के लिए आदर्श है।
* **ऊना, कांगड़ा, और हमीरपुर** जैसे ज़िलों को **हर्बल खेती और जैव-चिकित्सा केंद्र** के रूप में विकसित किया जा सकता है।

### **हर्बल मेडिसिन सेक्टर का संगठित विकास**

* हिमाचल की मौजूदा हर्बल कंपनियों को **सुनियोजित नियामक ढांचे** के तहत लाया जा सकता है:

* **फॉर्म्युलेशन का मानकीकरण**,
* **क्लिनिकल वैलिडेशन** को बढ़ावा,
* **GMP सर्टिफिकेशन** को अनिवार्य बनाना,
* और **निर्यात के लिए सक्षम बनाना**।

इससे **पारंपरिक चिकित्सा** को **वैज्ञानिक पहचान और वैश्विक सम्मान** मिलेगा।

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## **अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के लिए स्वतंत्र नियामक व्यवस्था**

* **एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी** जैसी चिकित्सा पद्धतियों को अलग-अलग **स्वतंत्र नियामक चैनल्स** की आवश्यकता है।
* इससे **पारदर्शिता**, **अनुसंधान में गति**, और **प्रत्येक पद्धति की विशिष्टता की रक्षा** सुनिश्चित होगी।

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## **निष्कर्ष: सबके लिए चिकित्सा, सर्वोत्तम गुणवत्ता के साथ**

हिमाचल प्रदेश, यदि सही संस्थागत और नीति समर्थन मिले, तो **दवा निर्माण और हर्बल चिकित्सा का वैश्विक केंद्र** बन सकता है:

✅ **NIPER** की स्थापना शिमला ग्रामीण या सिरमौर में
✅ **HDPL** का पुनर्जीवन बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र में
✅ **पंजीकृत फार्मासिस्ट्स को प्रमुख स्वास्थ्य पदों पर नियुक्ति**
✅ **हर्बल खेती और दवा उद्योग को बढ़ावा**
✅ **भ्रष्टाचार-मुक्त, गुणवत्ता-आधारित, अनुसंधान-संचालित फार्मा इकोसिस्टम** का निर्माण

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### **अनुसंधान और अवधारणा प्रस्तुति:**

**चंदन शर्मा**
**बी.फार्म**, **फार्मास्युटिकल सेल्स मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDPSM)**
**भारतीय फार्मा उद्योग में 17 वर्षों का अनुभव**
**जन स्वास्थ्य, औषधि विकास और नियामक सुधार के लिए समर्पित।**

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