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सामाजिक राजनीतिक क्रान्ति के युगपुरुष हैं राहुल गाँधी : मंजीत साहू

*सामाजिक राजनीतिक क्रान्ति के युगपुरुष हैं राहुल गाँधी : मंजीत साहू
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हिलसा (नालंदा )।कॉंग्रेस नेता मंजीत आनन्द साहू नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस ओबीसी विभाग द्वारा आयोजित भगीदारी न्याय सम्मेलन में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए सम्मेलन को सम्बोधित किया । अपने सम्बोधन में श्री मंजीत साहू ने कहा की राहुल गाँधी ने अपने विचारों में सामाजिक न्याय के जिस में जो विजन को लगातार प्रस्तुत करने का काम किया है उससे यह कहा जा सकता है कि राहुल गाँधी सामाजिक राजनीतिक क्रान्ति के युगपुरुष हैं । राहुल गाँधी के भाषणों और विचारों के बाबा साहेब अंबेडकर, लोहिया, और कांशी राम के विचारों की झलक है। कांग्रेस पार्टी के अब तक के इतिहास में ये पहले नेता हैं जिन्होंने कमजोर वर्ग खास तौर से पिछड़े अतिपिछड़े वर्ग की समस्याओं को रेखांकित करते हुए उनके प्रतिनिधित्व की बकालत मुखर तरीके से की है। साहू ने कहा की संविधान लागू होने से पूर्व में और बाद भी समाज मे समता और वंचित समुदाय व महिलाओं के साथ समानता के विमर्श सबसे बड़े मुद्दों में से एक रहे हैं। तमाम राजनीतिक दल समाज के कमजोर वर्ग की बात तो जरूर करते आ रहे हैं किंतु आंशिक बदलाव के ज्यादा ज्यादा कुछ देखने को नहीं मिला है । वर्ष दो हजार उन्नीस का लोकसभा चुनाव हो या दो हजार चौबीस और उसके बाद आज भी राहुल गांधी के राजनीतिक विचार को देख लें तो न्याय शब्द उनके राजनीति के इर्द गिर्द ही घूम रहा है। तेलंगाना में जातिगत आधारित गणना और पिछड़े वर्ग के आरक्षण को बढ़ाकर बयालीस प्रतिशत करना देश की राजनीति के बड़े घटनाक्रमों में से एक हैं। इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ राहुल गाँधी को है।

मंजीत आनन्द साहू ने कहा की केंद्र सरकार और भाजपा दोनों ने ही जाति जनगणना को देश के लिए खतरनाक बताया था । जाति जनगणना की बात करने वालों को अर्बन नक्सल तक कहा गया । केंद्रीय मंत्री रहे भाजपा नेता सांसद अनुराग ठाकुर ने इस मांग पर संसद के भीतर राहुल गाँधी को गालियाँ तक दी । परंतु बाद में इसी सरकार ने जाति जनगणना कराने की बात पर सहमति जताया यहां तक की केंद्रीय कैबिनेट ने जाति जनगणना कराने की घोषणा भी की है । यह राहुल गाँधी जी की बड़ी राजनीतिक सफलताओं में से एक है। एक बार पुनः भागीदारी न्याय सम्मेलन में राहुल गाँधी ने कहा की जाति जनगणना करना तो केवल पहला कदम है। सभी क्षेत्रों में पिछड़े अतिपिछड़े वर्ग को उचित हिस्सा मिले यह सुनिश्चित करना उनके राजनीतिक जीवन का प्रमुख उद्देश्य है। ऐसा वे इस बात की चिंता किये बगैर करते रहेंगे की इससे उन्हें कितना राजनीतिक लाभ मिलता है हानि होती है ।

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