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अभ्यास, फोकस और निरंतरता ही सफलता की असली कुंजी है

अभ्यास, फोकस और निरंतरता ही सफलता की असली कुंजी है

✍️ डॉ. एम. वाई. क़ुरैशी

आज की तेज़ रफ़्तार वाली दुनिया में हर कोई जल्द सफलता पाना चाहता है। लोग शॉर्टकट ढूंढ़ते हैं, रातोंरात अमीर बनने के सपने देखते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। अगर कोई एक चीज़ है जो इंसान को शून्य से शिखर तक पहुँचा सकती है, तो वो है "नियमित अभ्यास, एकाग्रता और फोकस"।
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✅ अभ्यास का चमत्कार

हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले एक बात कही थी:

"करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निशान॥"

इसका अर्थ यह है कि निरंतर अभ्यास से एक सामान्य व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। जैसे एक साधारण सी रस्सी बार-बार पत्थर पर गिरने से निशान बना देती है, वैसे ही लगातार मेहनत किसी भी कठिन कार्य को आसान बना सकती है।

अभ्यास कोई साधारण चीज़ नहीं है, यह जीवन की सबसे बड़ी ताक़त है। अगर आप रोज़ थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करते हैं, तो कुछ समय बाद वही अभ्यास आपका आत्मविश्वास बन जाता है, आपकी पहचान बन जाता है, और अंततः आपकी सफलता की वजह बन जाता है।
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🧠 फोकस: भटकाव का इलाज

आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती है — ध्यान का भटकाव। मोबाइल, सोशल मीडिया, वीडियो गेम्स और इंटरनेट की चकाचौंध ने हमारे फोकस को छीन लिया है। लेकिन याद रखिए:

"जो व्यक्ति एक ही दिशा में लगातार चलता है, वही मंज़िल तक पहुँचता है।"

अगर आप किसी भी काम को पूरे फोकस के साथ करते हैं, तो धीरे-धीरे उसमें आपकी पकड़ मज़बूत हो जाती है। एक विद्यार्थी अगर रोज़ सिर्फ़ 3-4 घंटे फोकस के साथ पढ़ाई करे, तो वह दूसरों से बहुत आगे निकल सकता है जो दिन भर पढ़ते हैं लेकिन मन भटकाए रहते हैं।
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💪 कहानी जो सिखाती है फोकस का मतलब

एक बार की बात है — एक पहलवान के कई शिष्य थे। सब रोज़ अलग-अलग दांव-पेंच सीखते थे। लेकिन एक शिष्य सिर्फ़ एक दांव को ही रोज़ अभ्यास करता था। सालों तक वह सिर्फ़ उसी एक दांव को सीखता रहा।

समय आया कुश्ती का। पहलवान गुरु के सारे शिष्य प्रतियोगिता में उतरे। सब हारे, लेकिन वही एक शिष्य अंत तक टिक गया। उसने अपने ही गुरु को भी पराजित कर दिया।

लोगों ने पूछा: “तूने सिर्फ़ एक ही दांव सीखा था, फिर ये कैसे संभव हुआ?”

उसने जवाब दिया:
"मैंने सिर्फ़ एक दांव सीखा, लेकिन उसे इतनी बार प्रैक्टिस किया कि दुनिया का कोई पहलवान मुझसे बच नहीं सकता था।"
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📖 पढ़ाई: शेरनी का दूध है

हमारे बुजुर्ग कहते थे:

"पढ़ाई शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा, उतना दहाड़ेगा।"

इसका अर्थ यह है कि पढ़ाई से जो आत्मबल और आत्मविश्वास आता है, वह किसी और चीज़ से नहीं आता। अगर आप सच्चे मन और फोकस के साथ पढ़ाई करें, तो दुनिया की कोई ताक़त आपको पीछे नहीं कर सकती।
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🚫 काम बदलते रहना — सबसे बड़ी भूल

बहुत से लोग एक काम शुरू करते हैं, दो-तीन महीने करते हैं, फिर छोड़ देते हैं और नया काम पकड़ लेते हैं। फिर उसे भी छोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में वे न तो किसी एक चीज़ में माहिर बन पाते हैं और न ही स्थायित्व हासिल कर पाते हैं।

जो लोग बार-बार काम बदलते हैं, वे अंततः पछताते हैं। क्योंकि उन्हें सफलता छूने का मौका ही नहीं मिलता।
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🌟 एक ही काम में महारत पाना — यही सफलता का राज़ है

कोई भी बड़ा इंसान देख लीजिए —

• सचिन तेंदुलकर ने हर रोज़ बल्लेबाज़ी की प्रैक्टिस की।
• लता मंगेशकर ने रोज़ रियाज़ किया।
• ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक शोध में खुद को झोंक दिया।

इन्हें महानता यूँ ही नहीं मिली — बल्कि उन्होंने एक ही काम को वर्षों तक ईमानदारी, फोकस और जुनून के साथ किया।
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🧭 आज की पीढ़ी के लिए मेरा संदेश

मैं आज की युवा पीढ़ी को यही संदेश देना चाहता हूँ:

• अपने जीवन का लक्ष्य तय करें।
• जो काम आपको पसंद है, उसे चुनें।
• उसे छोड़िए मत, बस उसी पर लगन और ईमानदारी से काम करते रहिए।
• हर दिन थोड़ा-थोड़ा सीखते रहिए, अभ्यास करते रहिए।
• कुछ सालों में आप उस काम में मास्टर, एक्सपर्ट, और प्रसिद्ध व्यक्ति बन जाएंगे।
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🔚 निष्कर्ष

"जहां ध्यान है, वहां ज्ञान है।
जहां अभ्यास है, वहां सफलता है।
जहां निरंतरता है, वहां महानता है।"

कोई भी रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन अगर आप ठान लें कि "मैं इस एक काम में एक्सपर्ट बनूंगा," तो पूरी कायनात आपकी मदद करती है।

तो बस एक ही मंत्र याद रखिए — करते रहो, करते रहो, सीखते रहो, आगे बढ़ते रहो।

धन्यवाद!
डॉ. एम. वाई. क़ुरैशी


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