
असम में अतिक्रमण विरोधी अभियान को बड़ी कामयाबी, 2021 से अब तक 1.19 लाख बीघा भूमि पुनः सरकारी नियंत्रण में 🌿🏞️
असम में अतिक्रमण विरोधी अभियान को बड़ी कामयाबी, 2021 से अब तक 1.19 लाख बीघा भूमि पुनः सरकारी नियंत्रण में 🌿🏞️
गुवाहाटी, 2025 — असम सरकार द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान ने अब तक उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि वर्ष 2021 से 2025 के बीच अब तक 1,19,548 बीघा भूमि, यानी लगभग 160 वर्ग किलोमीटर, को फिर से सरकारी नियंत्रण में लाया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन ज़मीनों में आरक्षित वन, वन्यजीव अभयारण्य, ग्राम चरागाह (VGR), व्यावसायिक चरागाह (PGR), सार्वजनिक जमीनें और धार्मिक परिसरों से जुड़ी भूमि शामिल हैं। इनमें से 84,700 बीघा भूमि आरक्षित वनों और अभयारण्यों की थी, जबकि 3,650 बीघा चरागाह क्षेत्रों से, 26,700 बीघा सार्वजनिक और सरकारी ज़मीन से तथा 4,450 बीघा धार्मिक परिसरों और सत्र की ज़मीन से अतिक्रमण हटाया गया।
मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अतिक्रमण हटाने के बाद स्थायी सुरक्षा व्यवस्था स्थापित कर रही है, ताकि दोबारा कब्जा न हो सके। उन्होंने यह दावा भी खारिज किया कि जिन लोगों को हटाया गया, वे बाद में फिर से ज़मीन पर कब्जा कर लेते हैं।
इस प्रेस वार्ता में विशेष मुख्य सचिव (वन विभाग) एम.के. यादव भी उपस्थित थे। उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में वन बहाली के आँकड़े और तस्वीरें मीडिया को साझा कीं।
उदाहरण के तौर पर, ग्वालपाड़ा ज़िले में जुलाई 2024 में पैकन वन क्षेत्र से 138 हेक्टेयर और मार्च 2024 में अथियाबारी क्षेत्र से 130 हेक्टेयर भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई। नवंबर 2021 में लुमडिंग रिजर्व फ़ॉरेस्ट से 1,410 हेक्टेयर भूमि खाली करवाई गई।
वन विभाग के अनुसार, इन क्षेत्रों में अब हाथी, तेंदुआ और अन्य वन्य जीवों की वापसी देखी जा रही है। 2023 में बुराचपोरी वन्यजीव अभयारण्य में 2,100 हेक्टेयर भूमि को पुनः संरक्षित क्षेत्र में बदला गया, जहाँ अब गैंडों की मौजूदगी भी देखी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कई क्षेत्रों में प्राकृतिक पुनर्जनन स्वतः शुरू हो चुका है, और वन्य जीवन की गतिविधियाँ सामान्य हो रही हैं, जो जैव विविधता की पुनर्बहाली का सकारात्मक संकेत है। 🌱🐘🦏
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