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श्री रामा संकीर्तन मंदिर मेरठ में चल रही शिव महापुराण कथा के 21 वें दिन उमड़े श्रद्धालु

मेरठ - श्री रामा संकीर्तन मन्दिर लालकुर्ती में चल रही शिवमहापुराण कथा के 21 वें दिन कथा व्यास पं० अम्बुज मिश्रा ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए बताया कि किस प्रकार से सभी ने मिलकर भोले भण्डारी को विवाह के लिए तैयार किया और उसका मूल बिन्दू तारकासुर वध बताया गया जो पूरे तरीके से सभी कि रक्षा के लिए समक्ष में आना कोई मुश्किल कार्य नही था । पार्वती से विवाह करने के बाद, शिव एक रमणीय, उज्ज्वल, एकांत स्थान पर चले गए। शिव ने एक हजार वर्षों तक पार्वती के साथ रति-क्रीड़ा की। शिव और पार्वती के रति-क्रीड़ा के कारण, पृथ्वी शेष (सर्प) और कच्छप (कछुआ) के भार से कांप उठी। तब, ब्रह्मा और देवताओं के साथ विष्णु तुरंत कैलाश पर्वत पर गए और शिव से मिलने की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अग्नि ने कबूतर बनकर अपनी चोंच से वीर्य निगल लिया जिससे उन्हें जलन होने लगी। अग्नि ने जलन से मुक्ति पाने के लिए शिव की स्तुति की। अग्नि के वचन सुनकर, महाप्रभु शिव प्रसन्न होकर अग्नि से बोले: "
तुमने मेरा वीर्य निगलकर अनुचित कार्य किया है। उस वीर्य को किसी उत्तम स्त्री के गर्भ में सावधानी से जमा करो। और बताया कि भगवान शिव के असह्य वीर्य को गंगा ने सार घास के वन में निक्षेपित किया था। जो वीर्य गिरा, वह एक सुन्दर, सुडौल बालक के रूप में परिवर्तित हुआ, जो तेज और वैभव से परिपूर्ण था। उसने सभी का आनंद बढ़ाया। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को शिव के पुत्र ने संसार में जन्म लिया। कृत्तिका के पालने से उनका नाम कार्तिकेय हुआ । और उन्हीं के द्वारा तारकासुर वध हुआ ।
ट्रस्ट के महामंत्री सुरेश छाबड़ा ने सभी को तुलसी जयन्ती कि बधाई दी और उनके द्वारा राम जी को हर घर में पहुंचाने के लिए याद किया गया । 101 दिए प्रभु जी को अर्पित किए गए । कथा का श्रवण करने प्रतिदिन श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ती जा रही है ।

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