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राजकीय कन्या मध्य विद्यालय बोधगया में कीचड़, खराब खाना और अधूरा निर्माण कार्य बना बच्चों के परेशानी का कारण।

बोधगया (गया)
नोड वन के पास स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, बोधगया में छात्राएं ही नहीं, शिक्षक भी परेशान हैं। पहले विद्यालय परिसर में पानी के जलजमाव से दिक्कतें थीं, अब नगर परिषद द्वारा जल निकासी के बाद फैली कीचड़ ने बच्चों का आना-जाना मुश्किल कर दिया है। फिसलन भरे रास्तों के कारण कई बच्चे गिर चुके हैं और विद्यालय आने वाले शिक्षक व बीआरसी में आने-जाने वाले लोग भी अपनी बाइक को काफी दूर छोड़कर ही जाते है। विद्यालय प्रशासन द्वारा लगातार तीन वर्षों से रास्ता निर्माण व जलजमाव की समस्या से निजात के लिए जिला के अधिकारी को 03 अगस्त 23, 01 सितंबर 23 को, बीआरसी में 28 जुलाई 23, 01 सितंबर 23 को एवं नगर परिषद बोधगया में 14 अगस्त 23, 23 मार्च 24 को आवेदन दिया गया हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला गया है।

चिंता की बात यह है कि इसी रास्ते से बीआरसी, बोधगया के अधिकारी भी गुजरते हैं, फिर भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, जिसमें 66 छात्र एवं 244 छात्राएं कुल 310 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। जिसमें करीब 260 छात्र ही पढ़ने के लिए विद्यालय आते है। इन बच्चों के लिए भोजन एनजीओ के माध्यम से आता है, लेकिन वह भी संतोषजनक नहीं है। कक्षा तीन की छात्राओं ने बताया कि उन्हें खाने में चावल और पतली चना दाल दी जाती है, जो अक्सर अधपकी होती है। खिचड़ी के दिन केवल बेस्वाद खिचड़ी और चोखा ही मिलता है, जिससे बच्चों का खाने में मन नहीं लगता। कभी कभार डाल में सोयाबीन मिलता है, वो भी अधपका हुआ। नहीं तो रोज पौष्टिक आहार के लिए हम लोग तरस जाते है।

प्रधानाध्यापक मो. शहाबुद्दीन ने भी खाना के गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए बताया कि एनजीओ द्वारा दिया गया खाना अपेक्षित स्तर का नहीं होता है। साथ ही, विद्यालय में हो रहे निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि छत पर बनाई जा रही रेलिंग में लोहे की छड़ न होने के कारण सुरक्षा का खतरा बना हुआ है। ठेकेदार को कई बार छड़ लगाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। ठेकेदार के कार्य को लेकर आम लोगों द्वारा कई बार टोका गया है। निर्माण कार्य संतोषजनक नहीं हो रहा है। विद्यालय की इस बदहाल स्थिति पर यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी घातक साबित हो सकता है।

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