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*प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात: सियासी सरगर्मी और रणनीतिक मंथन की अटकलें**


*नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025 (लेखक: हरिशंकर पाराशर)*: रविवार को देश की राजधानी में उस समय सियासी हलचल तेज हो गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की। संसद के मानसून सत्र की उथल-पुथल, उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों और वैश्विक कूटनीतिक चुनौतियों के बीच हुई इन मुलाकातों ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के हवाले से कयास लगाए जा रहे हैं कि यह मुलाकातें उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति, संसद में बड़े नीतिगत फैसलों और आंतरिक सियासी समीकरणों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती हैं।

**उपराष्ट्रपति चुनाव: रणनीति और समन्वय**
पिछले महीने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के लिए 9 सितंबर को मतदान की तारीख तय की गई है। इस संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार चयन और रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए यह मुलाकात अहम मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एक ऐसे उम्मीदवार को सामने लाना चाहते हैं, जो न केवल संसद के उच्च सदन में सरकार की नीतियों को समर्थन दे, बल्कि 2027 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले सियासी संतुलन को भी मजबूत करे।

सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में क्षेत्रीय और सामाजिक समावेशिता को ध्यान में रखते हुए दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर या अन्य पिछड़े क्षेत्रों से किसी नेता को उम्मीदवार बनाने पर विचार-विमर्श हुआ हो सकता है। साथ ही, NDA के सहयोगी दलों जैसे जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगु देशम पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ समन्वय और उनकी मांगों पर भी चर्चा की संभावना है।

**संसद सत्र: नीतिगत फैसलों की पृष्ठभूमि**
22 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों ने हंगामा खड़ा किया है। विपक्ष का आरोप है कि SIR के जरिए बिहार में मतदाता सूची में हेरफेर की कोशिश हो रही है, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल को लाभ मिले। वहीं, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष ने आदिवासी क्षेत्रों में सांस्कृतिक और धार्मिक बदलाव के आरोप लगाए हैं।

इन विवादों के बीच सरकार कोई बड़ा नीतिगत कदम उठाने की तैयारी में हो सकती है। कुछ समाचार स्रोतों के अनुसार, समान नागरिक संहिता (UCC) या जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश किए जा सकते हैं। ऐसे विधेयकों को पास कराने के लिए राष्ट्रपति की सहमति और संवैधानिक समन्वय आवश्यक है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात संसद सत्र के दौरान रणनीति को अंतिम रूप देने और संभावित संवैधानिक चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए थी।

**वैश्विक मंच पर भारत: कूटनीति और आर्थिक चुनौतियाँ**
वैश्विक स्तर पर भारत इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल व सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए जुर्माने की घोषणा की है। इसके जवाब में भारत ने रूस के साथ अपने रक्षा और ऊर्जा संबंधों को और गहरा करने का संकेत दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यूनाइटेड किंगडम और मालदीव यात्राओं के बाद यह उनकी राष्ट्रपति के साथ पहली मुलाकात थी। संभव है कि इस मुलाकात में वैश्विक कूटनीति, G20 जैसे मंचों पर भारत की भूमिका और आर्थिक नीतियों पर चर्चा हुई हो।

टैरिफ और जुर्माने के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार को नए व्यापार समझौतों या नीतिगत बदलावों की जरूरत पड़ सकती है। इस संदर्भ में, राष्ट्रपति के साथ चर्चा में इन मुद्दों को शामिल किया गया हो सकता है, खासकर यदि कोई नया नीतिगत फैसला संसद में पेश होना है।

**आंतरिक सियासत: संगठन और सहयोगी दलों का समन्वय**
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद BJP और NDA के लिए आंतरिक और क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती है। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिल्ली यात्राएँ और केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी मुलाकातें इस ओर इशारा करती हैं। इन राज्यों में 2027-28 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक और सियासी बदलाव की चर्चाएँ जोरों पर हैं।

साथ ही, NDA के सहयोगी दलों की बढ़ती मांगें भी सरकार के लिए चुनौती बनी हुई हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव और संसद सत्र में उनकी भूमिका को लेकर समन्वय आवश्यक है। यह मुलाकात इन समीकरणों को संतुलित करने और 2027 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने का हिस्सा हो सकती है।

**विपक्ष का आक्रामक रुख**
विपक्ष, खासकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम, ने SIR और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। संसद में हंगामे और सड़क पर विरोध प्रदर्शनों के जरिए विपक्ष ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है, लेकिन सरकार ने अभी तक इन पर खुली चर्चा से परहेज किया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कोई बड़ा सियासी दांव खेल सकती है, जैसे कि कोई लोकप्रिय नीतिगत घोषणा या उपराष्ट्रपति चुनाव में मजबूत उम्मीदवार पेश करना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात ने सियासी सरगर्मी को और तेज कर दिया है। यह मुलाकात उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति, संसद सत्र के दौरान बड़े नीतिगत फैसलों, वैश्विक कूटनीति और आंतरिक सियासी समीकरणों को संतुलित करने से जुड़ी हो सकती है। हालांकि, मुलाकात का सटीक एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह सरकार की भविष्य की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। संसद सत्र और उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने वाले हफ्तों में इस मुलाकात के वास्तविक मायनों को और स्पष्ट करेंगे।

*लेखक: हरिशंकर पाराशर, सत्यार्थ न्यूज़ संवाददाता, स्वतंत्र पत्रकार*

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