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आज 4 अगस्त है।

आज 4 अगस्त है।
किशोर कुमार: एक आवाज़, जो अमर हो गई
लेखक: डॉ.अआज़म बिन रफीक
(मानद डॉक्टरेटधारी, मीडिया विश्लेषक, संगीत प्रेमी एवं अधिवक्ता(P)
4 अगस्त… यह तारीख हर संगीत प्रेमी के दिल में एक मधुर धुन-सी गूंजती है। यह दिन है उस शख्सियत का जन्मदिवस, जिसकी आवाज़ में दर्द भी था, मस्ती भी, रोमांस भी और विद्रोह भी। वह न कोई पारंपरिक गायक थे, न कोई साधारण अभिनेता। वे थे – किशोर कुमार, जिनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था।

🎤 संगीत की दुनिया का बेमिसाल सितारा

किशोर कुमार का गायन किसी नियम या बंदिश में नहीं बंधा। उन्होंने शास्त्रीय संगीत नहीं सीखा था, फिर भी वे सुरों के सम्राट कहलाए। उनके गले से निकली हर धुन सीधे दिल में उतरती थी।
चाहे वह "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू" हो या "जिंदगी एक सफर है सुहाना", उनकी आवाज़ में एक खास जादू था — जैसे हर शब्द दिल से निकलकर सीधे आत्मा तक पहुंचता हो।

🎬 अभिनेता से पार्श्वगायक तक का सफर

अपना करियर अभिनेता के रूप में शुरू करने वाले किशोर कुमार ने खुद को सीमाओं में कैद नहीं किया। उन्होंने अभिनय किया, निर्देशन किया, संगीत रचा, और अंततः गायन के क्षेत्र में एक बेमिसाल पहचान बनाई।
राजेश खन्ना से लेकर अमिताभ बच्चन तक – हर नायक की आवाज़ बनकर उन्होंने हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग में चार चांद लगाए।

💫 एक कलाकार, जो जिंदगी को खुलकर जीता था

किशोर दा सिर्फ माइक के पीछे नहीं, असल जिंदगी में भी एक फक्कड़, बिंदास और अनोखे इंसान थे। उनका हास्यबोध, उनका विद्रोही स्वभाव और उनका अपनी शर्तों पर जीने का तरीका उन्हें भीड़ से अलग करता था।
वे नियमों को तोड़ने वाले नहीं, बल्कि उन्हें खुद रचने वाले थे।

🕯️ अनंत में विलीन होती एक आवाज़

13 अक्टूबर 1987 को जब किशोर दा इस दुनिया से विदा हुए, तब मानो संगीत ने कुछ पल के लिए मौन धारण कर लिया था। लेकिन वे सच में कभी नहीं गए — उनकी आवाज़, उनका संगीत, उनके गाने आज भी हर दिल में जिंदा हैं।


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अंत में…

किशोर कुमार को सिर्फ सुनना नहीं चाहिए, महसूस करना चाहिए।
क्योंकि वे सिर्फ गायक नहीं थे, एक जुनून थे। एक अहसास थे।
आज उनके जन्मदिवस पर, चलिए हम सब उनके गीतों में फिर से ज़िन्दगी तलाशें...

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"कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना..."
"मेरे न जाने दिल क्यों तुम्हें, इतना चाहता है..."
"ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए..."
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