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सावन के चौथे सोमवार उमड़ा आस्था का जन सैलाब: ऋणमुक्तेश्वर कावड़ यात्रा में 15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक

15 वर्षों से निरंतर चल रही डिंडौरी जिले की ऐतिहासिक यात्रा आज सम्पन्न, कुकर्रामठ बना श्रद्धा का तीर्थस्थल

डिंडौरी में सावन के पावन माह की चौथी सोमवारी, 4 अगस्त 2025 को डिंडौरी जिले की सबसे पुरानी एवं ऐतिहासिक ऋणमुक्तेश्वर कावड़ यात्रा का भव्य आयोजन हुआ। 15 वर्षों से लगातार जारी इस परंपरा में इस वर्ष भी 15,000 से अधिक श्रद्धालुओं और कावड़ियों ने भाग लिया बहुत जगाओ से और कुकर्रामठ स्थित ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

15 किमी की पदयात्रा बनी भक्ति का प्रतीक

यात्रा की शुरुआत सुबह डिंडौरी शहर के मढ़िया घाट से हुई, जहां श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा से जल भरकर कावड़ में रखा और करीब 15 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए कुकर्रामठ मंदिर पहुंचे। इस यात्रा में ऋणमुक्तेश्वर क़ाबड़ यात्रा समिति सहित अनेक सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भाग लिया और आयोजन को सफल बनाया।

हर आयु वर्ग ने लिया उत्साहपूर्वक भाग

इस बार की यात्रा में छोटे छोटे बच्चों सहित वृद्धों तक ने उत्साह से भाग लिया। कहीं अकेले तो कहीं सामूहिक रूप से श्रद्धालु कंधे से कंधा मिलाकर कावड़ उठाते दिखे। कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से जल कलश उठाकर अपनी आस्था का परिचय दिया।

स्थानीय नागरिकों ने किया भव्य स्वागत

पूरे यात्रा मार्ग में घानाघाट, महावीरा, बल्लारपुर सहित अनेक स्थानों पर स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संस्थाओं ने श्रद्धालुओं का स्वागत फलाहार, चाय-पानी और पुष्पवर्षा से किया। सेवा भावना और सामुदायिक सहभागिता की मिसाल इस यात्रा में साफ देखी गई।

मंदिर परिसर में सुबह 7 से रात 7 तक रहा जनसैलाब

सुबह से ही कुकर्रामठ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया था। कावड़ लेकर आए भक्तों को प्राथमिकता से प्रवेश दिया गया। सुरक्षा और दर्शन व्यवस्था मंदिर समिति और पुलिस प्रशासन द्वारा अनुशासित ढंग से संभाली गई, जिससे कोई अव्यवस्था नहीं हुई।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही मुस्तैद

श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए डिंडौरी से कुकर्रामठ तक पूरे मार्ग में पुलिस बल तैनात रहा। मंदिर के बाहर व अंदर भीड़ नियंत्रण के विशेष इंतजाम किए गए थे। कहीं से भी अव्यवस्था की सूचना नहीं मिली, जिससे आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।


अनुशासन और श्रद्धा का अद्भुत संगम

पूरी यात्रा में भक्तों ने अनुशासन, संयम और भक्ति का परिचय दिया। जल कलश को आदरपूर्वक उठाया गया, न कोई ध्वनि प्रदूषण हुआ और न ही कोई अव्यवस्थित स्थिति बनी। यह आयोजन सामाजिक समरसता और श्रद्धा का प्रतीक बन गया।

कुकर्रामठ बना श्रद्धा का केन्द्र

मान्यता है कि ऋणमुक्तेश्वर महादेव के दर्शन और जलाभिषेक से जीवन के कष्ट, ऋण और दुखों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां हजारों श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं। आज की चौथी सोमवारी को यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से पूर्ण रूप से सफल रहा।
संघर्ष से शुरु हुई थी परंपरा, कभी होता था विरोध

आज जहां ऋणमुक्तेश्वर कावड़ यात्रा जनआस्था का विराट रूप बन चुकी है, वहीं 15 वर्ष पहले जब इस यात्रा की शुरुआत हुई थी, तब इसे लेकर कई विरोध और आपत्तियाँ सामने आई थीं,समिति के सदस्यों ने बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा लगातार दो साल मंदिर में पूजन अर्चन करने को लेकर विवाद सहित fir तक दर्ज कराने का प्रयास किया गया,इसके वाबजूद आज तक भक्तों ने बिना दबाब और उत्साह के साथ क़ाबड़ यात्रा निकालते हैं, साथ ही अब आस पास के जिलों से भी लोग ऋणमुक्तेश्वर भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर अपने तथा पितृऋण से मुक्ति की कामना करते हैं।

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