
"योग: युवा शक्ति को जागृत करने का सशक्त माध्यम"
📍आगरा उत्तर प्रदेश
आज के युवाओं के मानसिक, शारीरिक और नैतिक उत्थान में योग की निर्णायक भूमिका
वर्तमान समय की प्रतिस्पर्धात्मक और तीव्रगामी जीवनशैली ने युवा पीढ़ी के समक्ष अनेक मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। तनाव, चिंता, अवसाद और मोबाइल की बढ़ती लत आज के युवाओं को कमजोर और असंतुलित बना रही है। ऐसे समय में योग एक ऐसा प्रभावशाली साधन बनकर उभरा है, जो युवाओं को न केवल संतुलन और स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें एक उद्देश्यपूर्ण और जागरूक जीवन की दिशा में भी प्रेरित करता है।
योग, भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य देन है, जो तन, मन और आत्मा को एकीकृत कर व्यक्ति को समग्र रूप से सशक्त करता है। युवाओं के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होता है, क्योंकि योगाभ्यास — जैसे प्राणायाम, ध्यान और विभिन्न आसन — उन्हें अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और मानसिक संतुलन प्रदान करते हैं।
शोध और अनुभव बताते हैं कि नियमित योगाभ्यास से युवाओं की स्मरण शक्ति, एकाग्रता और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जो उनकी शैक्षणिक सफलता और करियर निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, योग शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करता है — यह पाचन तंत्र, रक्त संचार और मांसपेशियों को सक्रिय एवं मजबूत बनाता है। वहीं, खेलों में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए योग लचीलापन, सहनशक्ति और प्रतिक्रिया समय को बेहतर करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि योग केवल शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि यह एक विचारधारा और जीवन पद्धति है, जो युवाओं को सकारात्मक सोच, नैतिक मूल्यों और आत्मबोध की ओर ले जाती है। यह उन्हें एक जिम्मेदार, संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनने में सहयोग करता है।
निष्कर्षतः, यह कहा जा सकता है कि योग युवा पीढ़ी के सर्वांगीण विकास का एक सशक्त, प्रभावशाली और अनमोल माध्यम है। यह न केवल वर्तमान चुनौतियों से उबरने का मार्ग दिखाता है, बल्कि एक स्वस्थ, जागरूक और नैतिक समाज की नींव रखने में भी योगदान देता है।
शोधार्थिनी/शोध निर्देशिका-
मनोरमा सिंह, डॉ0 नीतू सिंह
(असि0/प्रोफे0 शिक्षा-संकाय)
दयालबाग एजुकेशनल, इन्स्टीट्यू
(डीम्ड विश्वविद्यालय),
दयालबाग आगरा-282005
रिपोर्ट - पंकज कुमार गुप्ता
जिला - जालौन उरई
राज्य - उत्तर प्रदेश