
**उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: BJP-RSS में तनाव, प्रकाश अंबेडकर बन सकते हैं INDIA गठबंधन के उम्मीदवार**
**उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: BJP-RSS में तनाव, प्रकाश अंबेडकर बन सकते हैं INDIA गठबंधन के उम्मीदवार**
*लेखक: हरिशंकर पाराशर*
नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025: भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो गई हैं, और इस बार का चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के बीच एक कड़ा मुकाबला साबित होने जा रहा है, बल्कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और इसके वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच भी तनाव की खबरें सामने आ रही हैं। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन) ने अपने संभावित उम्मीदवार के रूप में वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) के नेता प्रकाश अंबेडकर को मैदान में उतारने की रणनीति बनाई है, जो सत्ताधारी गठबंधन को कड़ी चुनौती दे सकता है।
**BJP-RSS के बीच तनाव की पृष्ठभूमि**
सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन को लेकर BJP और RSS के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं। जहां BJP अपने गठबंधन सहयोगियों, विशेष रूप से तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के साथ मिलकर एक ऐसे उम्मीदवार को पेश करना चाहती है जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के व्यापक हितों को साधे, वहीं RSS एक ऐसे चेहरे को प्राथमिकता दे रहा है जो इसकी वैचारिक नींव को मजबूत करे। इस मतभेद ने NDA के भीतर रणनीतिक असमंजस को जन्म दिया है, जिसका फायदा विपक्षी गठबंधन उठाने की कोशिश में है।
**प्रकाश अंबेडकर: INDIA गठबंधन की रणनीति**
इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रकाश अंबेडकर को उम्मीदवार बनाने की संभावना पर विचार शुरू कर दिया है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के पौत्र और एक मजबूत दलित नेता के रूप में पहचाने जाने वाले प्रकाश अंबेडकर की उम्मीदवारी सामाजिक न्याय और समावेशिता के मुद्दों को केंद्र में ला सकती है। उनकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव इंडिया गठबंधन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच अपनी पैठ मजबूत करना है। यह कदम खास तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्रभावी हो सकता है, जहां सामाजिक समीकरण चुनावी नतीजों को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
वंचित बहुजन अघाड़ी के संस्थापक प्रकाश अंबेडकर ने हाल के वर्षों में अपनी स्वतंत्र और बेबाक राजनीतिक शैली से ध्यान खींचा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने भले ही सीटें नहीं जीतीं, लेकिन उनके गठबंधन-विरोधी रुख और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्टवादी दृष्टिकोण ने उन्हें एक मजबूत विकल्प के रूप में उभारा है। इंडिया गठबंधन का मानना है कि अंबेडकर की उम्मीदवारी न केवल सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को एकजुट कर सकती है, बल्कि NDA के कुछ सहयोगी दलों को भी असमंजस में डाल सकती है।
**चुनावी प्रक्रिया और गठबंधन की रणनीति**
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। इस प्रक्रिया में गुप्त मतदान होता है, और उम्मीदवार को जीत के लिए कोटा (निर्वाचक मंडल के कुल मतों का आधा से अधिक) हासिल करना होता है। भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए निर्वाचक मंडल की सूची तैयार की है, और जल्द ही अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है।
2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें हासिल कीं, जबकि NDA ने 293 सीटों के साथ सरकार बनाई। हालांकि NDA की संख्या अधिक है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकजुटता और रणनीतिक मतदान उसे अप्रत्याशित बढ़त दिला सकता है। इंडिया गठबंधन इस मौके को BJP-RSS के बीच कथित मतभेद और NDA के कुछ सहयोगियों की असहजता को भुनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। खास तौर पर, JDU और TDP जैसे दल, जो क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं, अंबेडकर जैसे उम्मीदवार के प्रति नरम रुखadopt कर सकते हैं।
**सत्ताधारी दल पर दबाव**
इंडिया गठबंधन की यह रणनीति निश्चित रूप से सत्ताधारी NDA को सोचने पर मजबूर कर रही है। प्रकाश अंबेडकर की उम्मीदवारी न केवल सामाजिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह विपक्ष को वैचारिक और नैतिक आधार पर भी मजबूत स्थिति में ला सकती है। दूसरी ओर, BJP-RSS के बीच उम्मीदवार चयन को लेकर चल रही खींचतान NDA की एकजुटता पर सवाल उठा रही है। यदि विपक्ष इस मौके का फायदा उठाने में कामयाब रहा, तो यह उपराष्ट्रपति चुनाव में एक बड़ा उलटफेर कर सकता है।
**आगे की राह**
हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि प्रकाश अंबेडकर उपराष्ट्रपति चुनाव जीत पाएंगे, लेकिन उनकी उम्मीदवारी ने निश्चित रूप से राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। इंडिया गठबंधन की यह रणनीति सत्ताधारी दल को न केवल रणनीतिक रूप से चुनौती दे रही है, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता जैसे मुद्दों को भी राष्ट्रीय पटल पर ला रही है। इस बीच, NDA को अपने गठबंधन को एकजुट रखने और एक मजबूत उम्मीदवार पेश करने की चुनौती का सामना करना होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का परिणाम न केवल देश की कार्यपालिका के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनावों और भविष्य की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। समय ही बताएगा कि क्या इंडिया गठबंधन की यह रणनीति सत्ताधारी दल को शिकस्त देने में कामयाब होगी, या BJP-RSS अपने मतभेदों को सुलझाकर एक बार फिर बाजी मार लेगी।