
डोनाल्ड ट्रंप की 250% तक टैरिफ वाली धमकी ।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ की धमकी और दवा कंपनियों पर 250% तक टैरिफ लगाने की बात का भारत, अमेरिका और दुनिया भर पर कई तरह से प्रभाव पड़ सकता है।
भारत पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है अमेरिका भारत के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार है, खासकर कपड़ा, रत्न और आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में। इन वस्तुओं पर टैरिफ लगने से भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा, जिससे निर्यात में कमी आ सकती है। इससे भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी थोड़ी गिरावट आने की आशंका है।
भारत जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। दवा कंपनियों पर 250% तक का टैरिफ लगने से भारत के फार्मा निर्यात पर भारी असर पड़ेगा। इससे भारतीय कंपनियों को नुकसान होगा।
अमेरिका के टैरिफ के दबाव के कारण भारत को अपनी व्यापार नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। हालांकि, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगी और जरूरी कदम उठाएगी। भारत सरकार निर्यातकों को मदद देने के लिए भी कदम उठा सकती है।
टैरिफ की धमकियां और रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की नाराजगी दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा सकती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत को चीन और रूस जैसे देशों के करीब ला सकता है।
इसके विपरीत अमेरिका पर भी इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है
अमेरिका अपनी 47% जेनेरिक दवाओं की जरूरत भारत से पूरी करता है। भारतीय दवाओं पर 250% का टैरिफ लगने से अमेरिका में दवाओं की कीमतें काफी बढ़ जाएंगी, जिसका सीधा असर अमेरिकी नागरिकों पर पड़ेगा। आज भारत और अमेरिका के ट्रेड वार के चलते भारतीय बाजार में फार्मा कंपनी के दिग्गज शेयर सनफ्रामा, लूपिन , इप्का लैब , सिप्ला ,ग्लेनमार्का , डॉ रेड्डी जैसे शेयर 2% तक गिर गए ।
टैरिफ लगने से अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ सकती है, क्योंकि वे भारत से कच्चे माल और अन्य सामान आयात करती हैं। इसके अलावा, जवाबी कार्रवाई के रूप में भारत भी अमेरिकी सामान पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होगा। टैरिफ के कारण आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
भारत से दवाओं और अन्य सामान की आपूर्ति बाधित होने से अमेरिका में आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इस टैरिफ बार से वैश्विक रूप से भी व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है
अमेरिका जैसे बड़े देश द्वारा टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार धीमा हो सकता है। यह "स्लोबलाइजेशन" (Globalization की धीमी रफ्तार) के एक दशक की शुरुआत कर सकता है।
अगर भारत अमेरिका के टैरिफ का जवाब देता है, तो इससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है, जिसका नकारात्मक असर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
अमेरिका की यह नीति अन्य देशों के साथ उसके संबंधों में भी तनाव बढ़ा सकती है और वैश्विक भू-राजनीति में अस्थिरता पैदा कर सकती है।
मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT