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*लम्पी स्किन डिजीज से बचाव हेतु पशुपालकों से सतर्कता बरतने की अपील*



*देवरिया 06 अगस्त 2025*

जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने जानकारी देते हुए बताया कि लम्पी स्किन डिजीज (LSD) गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं में फैलने वाला एक विषाणु जनित रोग है, जो मुख्यतः मच्छरों, चिचड़ियों और मक्खियों के काटने से फैलता है। जनपद देवरिया में इस रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग द्वारा व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत गोवंशीय पशुओं का निःशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है।
रोग की निगरानी एवं त्वरित नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जिसे डा. यू.के. सिंह, उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, देवरिया सदर द्वारा संचालित किया जा रहा है। पशुपालक किसी भी प्रकार की समस्या अथवा जानकारी हेतु उनसे मोबाइल नम्बर 9415833790 पर संपर्क कर सकते हैं।
लम्पी रोग के प्रमुख लक्षणों में पशुओं को हल्का बुखार होना तथा पूरे शरीर पर गोलाकार गांठों (नोड्यूल्स) का उभरना शामिल है। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो इससे मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत तक हो सकती है।
जिलाधिकारी ने बताया कि इस रोग से प्रभावित पशुओं को तत्काल अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। संक्रमण फैलाने वाले वाहकों जैसे मच्छर, मक्खी और चिचड़ी से पशुओं को बचाने के लिए पशुशालाओं की दैनिक सफाई, डिसइन्फेक्टेंट का छिड़काव तथा संक्रमित स्थानों की फार्मलीन, ईथर, क्लोरोफार्म या एल्कोहल से नियमित सफाई आवश्यक है। मृत पशुओं के शवों को सुरक्षित रूप से गहरे गड्ढे में दबाया जाना चाहिए, ताकि संक्रमण न फैले।
संक्रमण से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी कारगर सिद्ध हो रहे हैं। इसमें आंवला, अश्वगंधा, गिलोय या मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर लड्डू बनाकर सुबह-शाम खिलाना लाभकारी होता है। इसके अलावा तुलसी की पत्तियां (एक मुट्ठी), दालचीनी (5 ग्राम), सोडा पाउडर (5 ग्राम) और काली मिर्च (10 नग) को गुड़ में मिलाकर सेवन कराना भी उपयोगी है।
पशु बाड़ों में संक्रमण को रोकने के लिए गोबर के कंडे में गुग्गुल, कपूर, नीम की सूखी पत्तियां और लोहबान डालकर प्रतिदिन सुबह-शाम धुआं करना चाहिए। पशुओं के स्नान हेतु 25 लीटर पानी में नीम की पत्तियों का पेस्ट और 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर स्नान कराना तथा बाद में साफ पानी से नहलाना लाभकारी होता है।
संक्रमण हो जाने पर देशी औषधीय उपचार में नीम, तुलसी, लहसुन, लौंग, काली मिर्च, जीरा, हल्दी, पान के पत्ते, छोटे प्याज आदि को पीसकर गुड़ में मिलाकर पशुओं को 10 से 14 दिन तक सुबह-शाम खिलाने की सलाह दी गई है। खुले घावों के उपचार हेतु नीम, तुलसी, मेंहदी, लहसुन, हल्दी और नारियल तेल को मिलाकर गर्म करके तैयार लेप को घाव पर लगाने से लाभ मिलता है। इससे पहले घाव को नीम के पत्तों से उबाले गए पानी से साफ किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी दशा में पशुपालक बिना प्रशिक्षित पशु चिकित्सक की सलाह के स्वयं उपचार न करें। नजदीकी पशु चिकित्सालय में संपर्क कर उचित परामर्श प्राप्त करें।
जिलाधिकारी ने पशुपालकों से अपील की है कि वे लम्पी स्किन डिजीज की गंभीरता को समझें और अपने पशुओं को निःशुल्क टीकाकरण अवश्य कराएं। यह जनहित एवं पशुहित में अत्यंत आवश्यक है।

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