
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्तनपान संवर्धन पर कार्यशाला का आयोजन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कौमारभृत्य/बाल रोग विभाग द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन 1 अगस्त से 7 अगस्त तक किया जा रहा है। यह कार्यक्रम विभागीय स्तर पर कौमारभृत्य विभाग में आयोजित किया गया है।
कौमारभृत्य विभाग के बाल रोग विशेषज्ञ एवं ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. रवि शंकर खत्री ने बताया कि यह कार्यक्रम बीएचयू के कौमारभृत्य/बाल रोग विभाग में विगत कई वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जाता रहा है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के प्रथम दिन डॉ. रवि शंकर खत्री ने स्तनपान से जुड़े सामाजिक मिथकों और उनके पीछे छिपे तथ्यों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से भ्रांतियों को दूर करने पर बल दिया।
दूसरे दिन प्रोफेसर सुनीता सुमन ने समानता के दृष्टिकोण से स्तनपान में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मातृत्व संबंधी जिम्मेदारियों को समझते हुए सामाजिक एवं पारिवारिक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
तीसरे दिन डॉ. दीपा मिश्रा ने सही पोजीशन और लैचिंग (latching) की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया माँ और शिशु दोनों के पोषण एवं समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
चौथे दिन विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम शंकर उपाध्याय ने अस्पतालों में स्तनपान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सरल, सुगम और सुलभ तरीके से स्तनपान की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़े और शिशु को संपूर्ण पोषण मिल सके।
पाँचवें दिन प्रो. बृजमोहन सिंह ने ‘ब्रेस्ट मिल्क एग्जामिनेशन’ विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने स्तन्य परीक्षण के आधुनिक तकनीकी पक्षों को रेखांकित करते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया।
कार्यशाला के छठवें दिन, डॉ. वैभव जायसवाल ने "आयुर्वेद में स्तन्य वृद्धि के उपाय" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि उचित आहार, जीवनशैली एवं विशिष्ट आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से माताओं में स्तन्य वृद्धि संभव है। उनके अनुसार स्तनपान केवल पोषण का ही नहीं, बल्कि मातृत्व के शारीरिक और मानसिक संतुलन का भी प्रतीक है।
कार्यशाला के अंतिम दिन, डॉ. कल्पना पाटनी ने "महिलाओं के कार्यस्थल पर स्तनपान की तकनीक और प्रचार" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि माताओं को अपने कार्यस्थल पर भी स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिसके लिए सुविधाजनक स्थान, स्तन दुग्ध संग्रहण की व्यवस्था, और मातृत्व अवकाश जैसी नीतियाँ आवश्यक हैं। कार्यस्थलों पर सहयोगपूर्ण वातावरण स्तनपान के संरक्षण और प्रोत्साहन में अहम भूमिका निभाता है।
कार्यशाला में ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. रविशंकर खत्री, चेयरमैन एवं कौमारभृत्य विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम शंकर उपाध्याय, प्रो. बृजमोहन सिंह, जॉइंट सेक्रेटरी डॉ. वैभव जायसवाल एवं कल्पना पाटनी; तथा स्त्री एवं प्रसूति तंत्र विभाग से विभागाध्यक्ष प्रो. विश्वेश बी.एन., प्रो. सुनीता सुमन, प्रो. दीपा मिश्रा, डॉ. अनुराधा, डॉ. शिखा सिंह एवं डॉ. प्रीति चौहान ने कार्यशाला के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार व्यक्त किए।"
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ.आकांक्षा जायसवाल (सीनियर रेजिडेंट ) ने किया । डॉ अमित ,डॉ. सुब्रत , डॉ मधुप कुमार पाल, डॉ प्रियम पटेल डॉ . डॉ शेखर
डॉ. नित्या यादव ,डॉ.रामाज्ञा डॉ.नरेंद्र डॉ साधना, डॉ शालिनी डॉ मनीषा डॉ.स्वागतिका डॉ.विश्वजीत डॉ सोनू डॉ.सूरज एवं डॉ दीपक डॉ सच्चिदानंद डॉ अनुज ने प्रतिभागी के रूप में उपस्थित रहे
कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजेशन सेक्रेटरी डॉ. रवि शंकर खत्री ने समापन की घोषणा करते हुए बताया कि अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित यह विश्व स्तनपान सप्ताह अत्यंत उपयोगी एवं प्रभावी ढंग से संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में उपस्थित सभी श्रोताओं को स्तनपान से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई, जो समाज में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी।